राहुल गांधी के नाम पर अपने फैसलों को दूसरों पर थोपते हैं कुछ नेता, फिर उनको ही देते हैं दोष: G23 का आरोप
नई दिल्ली (एएनआई)। हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हुई करारी हार के बाद कांग्रेस में फिर से संगठन में बदलाव की मांग तेज हो गई है। इसको लेकर सक्रिय हुआ जी- 23 शीर्ष नेतृत्व के लिए भी परेशानी का सबब बनता जा रहा है। इस ग्रुप की मांग है कि संगठन में हर स्तर पर बदलाव बेहद जरूरी है। वहीं दूसरी तरफ पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ये साफ कर दिया है कि ये बदलाव फिलहाल पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव तक संभव नहीं है। आपको बता दें कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव इस वर्ष अगस्त-सितंबर में होना है।
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को इस ग्रुप के सदस्य आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और विवेक तन्खा से अपने निवास पर मुलाकात की थी। ये मुलाकात पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद पार्टी में हर स्तर पर मचे घमासान और असंतोष को लेकर थी। सूत्रों की मानें तो इसमें ये बात सामने आई कि चुनाव को लेकर जो फैसले लिए लिए उसमें एकजुटता का अभाव था। सोनिया गांधी का कहना है कि अगस्त सितंबर में पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव कर लिया जाएगा। फिलहाल इस पर ही फोकस करना है। हालांकि पार्टी लीडरशिप के ऊपर उठ रहे सवालों पर कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि इसका सवाल न तो ग्रुप 23 ने उठाया है और न ही गांधी परिवार ने उठाया है। तो फिर इस तरह के सवाल कौन उठा रहा है।
गौरतलब है कि कांग्रेस में जी-23 पार्टी के असंतुष्ट नेताओं का एक ग्रुप है, जो लगातार पार्टी के शीर्ष नेताओं पर सवाल उठाता रहा है। इनका कहना है कि कुछ लोग ही पार्टी में सभी फैसले करते हैं और उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं होती है। सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान जी-23 के नेताओं ने बताया कि कुछ महासचिव राहुल गांधी के नाम पर अपना फैसला दूसरों पर थोपते हैं और फिर बाद में उन्हें ही दोष देते हैं।
उन्होंने ये सवाल भी उठाया कि पार्टी में लगातार लिए जा रहे गलत निर्णयों के बारे में कौन जिम्मेदार है। पार्टी को कुछ लोगों के हाथों में नहीं दिया जा सकता है। इन नेताओं के उठाए इस सवाल पर सोनिया गांधी ने उन्हें ये मुद्दा बैठक में उठाने का भरोसा दिलाया है। जी-23 नेताओं का ये भी कहना है कि पार्टी का कोई भी फैसला एकजुटता से लिया जाना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी ने जी-23 ग्रुप के नेताओं से मुलाकात का फैसला दोनो धड़ों के बीच सामंजस्य बनाने के लिए ही लिया था। आपको बता दें कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम सामने आने के बाद गुलाम नबी आजाद ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की थी।