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'गोल्डन ब्वाय' नीरज चोपड़ा पर लगातार निवेश कर रही केंद्र सरकार
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। खेलों की दुनिया में भारत एक ऐसा देश जहां ओलिंपिक पदक जीतना ही बड़ी बात मानी जाती है। ऐसे में जब नीरज चोपड़ा ने पिछले साल टोक्यो ओलिंपिक में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा और ओलिंपिक स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीट और निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के बाद दूसरे भारतीय बने तो उनसे उम्मीदें ज्यादा बढ़ गई।

नीरज भी एक पदक पर थमने वाले नहीं हैं और नए लक्ष्य को पाने की खातिर अपनी मेहनत में रमे हुए हैं। टोक्यो में ८७.५८ मीटर की दूरी तक भाला फेंकने वाले नीरज ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन आना अभी बाकी है और इस साल होने वाली प्रतियोगिताओं में वह ९० मीटर की दूरी तक भाला फेंकने की कोशिश करेंगे। केंद्रीय खेल मंत्रालय को भी नीरज की प्रतिभा, लगन और मेहनत पर पूरा भरोसा है और यही वजह है कि वह उन पर लगातार निवेश कर रही है।

नीरज के इस साल के लक्ष्यों में अमेरिका में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतना एवं एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में अपने खिताब का बचाव करने के अलावा ९० मीटर के पार भाला फेंकना शामिल है। नीरज इसके लिए तुर्की के एंताल्या में ग्लोरिया स्पो‌र्ट्स एरिना में इस साल २८ मार्च से ११ मई तक, यानी ४४ दिन प्रशिक्षण लेंगे। इसका पूरा खर्चा खेल मंत्रालय उठाएगा।

इस दौरान नीरज के साथ उनके कोच क्लाउस बार्टोनिट्ज और फिजियो इशान मारवाह भी रहेंगे। इस प्रशिक्षण के दौरान होने वाले खर्चे की अनुमानित लागत २२,३८,३९४ रुपये होगी। इनमें उनके तुर्की जाने व वहां से आने के अलावा ग्लोरिया स्पो‌र्ट्स एरिना में ट्रेनिंग, आरटी-पीसीआर टेस्ट, चिकित्सा बीमा और खाने व रहने की व्यवस्था व अन्य खर्चे भी शामिल होंगे। इसके अलावा नीरज के एकाउंट में ५० डालर (करीब ३८०० रुपये) प्रतिदिन के हिसाब से जेब खर्च भी जमा किया जाएगा।

जाहिर है कि नीरज इस समय ऐसे एथलीट हैं जिससे पूरे देश को अगले ओलिंपिक में एक बार फिर सुनहरी उम्मीदें हैं। ऐसे में खेल मंत्रालय भी नहीं चाहता है कि नीरज को अभ्यास के लिए किसी भी तरह की परेशानी का सामना करना पड़े और देश के करोड़ों लोगों की उम्मीदों पर जरा सी भी आंच आए।