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सलमान खान को भेजा समन, अब इस मामले से जुड़े आरोप में कोर्ट में पेश होंगे भाईजान
नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान फिल्मों के अलावा विवादों में रहने की वजह से भी काफी चर्चा में रहे हैं। वह बहुत बार विवादों में आ चुके हैं। अब सलमान खान को मुंबई के एक कोर्ट ने समन भेजा है। दिग्गज अभिनेता पर आरोप है कि उन्होंने एक पत्रकार के साथ खराब बर्ताव किया है। जिसके चलते कोर्ट ने सलमान खान को समन भेजकर पेश होने को कहा है।

न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सलमान खान को समन भेजकर ५ अप्रैल तक कोर्ट में पेश होने को कहा है। उन्हें यह समन तीन साल पहले के एक मामले में भेजा गया है। सलमान खान के खिलाफ पत्रकार अशोक पांडेय ने साल २०१९ में एक केस दर्ज करवाया है। इस केस में उन्होंने अभिनेता पर उनके साथ खराब व्यवहार करने का आरोप लगाया है।

अंधेरी के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सलमान खान को आईपीसी की धारा ५०४ और ५०६ के तहत समन भेता है। वहीं दूसरी ओर हिरण शिकार मामले में सलमान खान को सोमवार को राजस्थान हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली। अब हिरण शिकार मामले से जुड़ी तीन याचिकाओं की सुनवाई सेशन कोर्ट के बजाय हाई कोर्ट में ही होगी। हाई कोर्ट ने सलमान की ट्रांसफर पिटीशन पर सभी मामलों की सुनवाई हाई कोर्ट में करने पर सहमति जता दी।

सलमान ने सेशन कोर्ट में विचाराधीन अपील को हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की याचिका लगा रखी थी। सुनवाई के दौरान सलमान की बहन अलवीरा कोर्ट में मौजूद रही। कांकाणी गांव की सरहद में दो काले हिरण का शिकार करने के मामले में सलमान खान को ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार देते हुए पांच वर्ष की सजा सुना रखी है। आर्म्स एक्ट में सलमान को बरी कर दिया गया।

पांच साल की सजा को सलमान ने सेशन कोर्ट में व आर्म्स एक्ट में सलमान को बरी किए जाने के खिलाफ राज्य सरकार ने अपील कर रखी है। वहीं, एक व्यक्ति पूनमचंद ने भी सलमान के खिलाफ याचिका दायर कर रखी है। इन सभी मामलों की सुनवाई सेशन कोर्ट में हो रही थी। काला हिरण शिकार प्रकरण में अभिनेता सैफ अली खान, अभिनेत्री नीलम, तब्बू व सोनाली को बरी करने के खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।

इसे लेकर सलमान की तरफ से एक याचिका हाई कोर्ट में पेश की गई थी। इसमें कहा गया कि इससे जुड़े सभी मामले एक-दूसरे से जुड़े हुए है। ऐसे में इनकी सुनवाई एक साथ हाई कोर्ट में की जाए। इस मामले में सरकारी पक्ष की तरफ से जवाब पेश नहीं किए जाने के कारण सुनवाई लगातार टलती जा रही थी।