Holi 2022: भद्रा का फंसा फेर, काशी में 18 को मनेगी होली, देश के अन्य हिस्सों में 19 मार्च को उड़ेंगे रंग-गुलाल
धर्म शास्त्र अनुसार होलिका दहन के बाद सूर्योदय काल व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंगोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस वर्ष प्रतिपदा 18 मार्च को दोपहर 12:53 बजे लग रही है जो 19 मार्च को दोपहर तक है।
भद्रा के फेर में इस बार देश भर में दो दिन होली मनाई जाएगी। काशी में होली 18 मार्च को और देश के दूसरे हिस्सों में 19 मार्च को रंग, अबीर और गुलाल उड़ेंगे। काशी के ज्योतिषाचार्यों की मानें तो होलिका दहन को लेकर कोई संशय नहीं है और यह समान रूप से 17 मार्च को देर रात में ही किया जाएगा।
शास्त्रीय विधानों की बात करें तो होलिक दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा की रात में होता है और इसमें प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा रहित रात्रि का मान होता है। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के न्यासी पं. दीपक मालवीय ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 17 मार्च को दोपहर 1:03 बजे लग रही है, जो 18 मार्च को दोपहर 12:52 बजे तक रहेगी।
17 मार्च को भद्रा रात्रि 12:57 बजे तक रहेगी। इस समय भद्रा होने से होलिकादहन नहीं किया जाएगा। भद्रारहित पूर्णिमा तिथि में रात्रि में होलिका दहन शुभ माना जाता है। ऐसे में 17 मार्च को भद्रा समाप्ति के बाद रात 12:57 बजे के बाद होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन रात्रि में ही किया जाना चाहिए।
धर्म शास्त्र अनुसार होलिका दहन के बाद सूर्योदय काल व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंगोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस वर्ष प्रतिपदा 18 मार्च को दोपहर 12:53 बजे लग रही है जो 19 मार्च को दोपहर तक है। इस तरह चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा उदया तिथि में 19 मार्च को ही मिल रही है।
अत: इसी दिन देश भर में होली मनाई जाएगी। हालांकि काशी में चतुषष्ठी यात्रा (चौसठ योगिनी परिक्रमा यात्रा) की परंपरा है। इसमें प्राचीन काल से होलिका दहन की अगली सुबह इस यात्रा का विधान है। अगली सुबह कोई भी तिथि हो, होली मनाई जाती है। इसलिए काशी में 18 मार्च को होली मनाई जाएगी। इससे इतर अन्य स्थानों पर शास्त्रीय विधान के अनुसार 19 मार्च को उदयातिथि में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा मिलने पर होली होगी।