Right Banner

बौखलाए पाकिस्‍तान के हाथों नाचने वाले लोग, जानें- मुशाल और यासीन मलिक के बारे में कुछ खास
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। कश्मीर पंडितों के दर्द को बयां करती द कश्‍मीर फाइल्स फिल्‍म के सामने आने के बाद पाकिस्‍तान और उसके हाथों की कठपु‍तली बने भाड़े के टट्टू और उनके दूसरे साथी बुरी तरह से बौखला गए हैं। यही वजह है कि वो अब भारत को लेकर अनर्गल बातें फैलाने में लगे हैं। इस तरह की बातें फैलाने में जिसका नाम सबसे आगे है वो है आतंकी यासीन मलिक की पाकिस्‍तानी बीवी मुशाल हुसैन मलिक। अब वो भी अचानक से सुर्खियों में आ गई है। कश्‍मीर फाइल्‍स से बौखलाई मुशाल अब भारत के खिलाफ जहर उगलने का काम कर रही है। एक वीडियो में वो ये तक कहते सुनाई दे रही है कि पाकिस्‍तान कभी भी कश्‍मीर को नहीं छोड़ेगा। यदि इसकी भारत ने कोशिश भी की तो खून की नदियां बहेंगी। बता दें कि यासीन और मुशाल की शादी मार्च २०१२ में पाकिस्‍तान में हुई थी। 

आपको बता दें कि मुशाल और यासीन और उन जैसे कुछ मुट्ठी भर लोग केवल भारत विरोधी बातें कहकर ही अपनी रोजी-रोटी चला पा रहे हैं। पूरी दुनिया जानती है कि इनके पीछे कौन है और इनको कहां से फंडिंग होती है। यासीन की बात करें तो वो २०१७ के बाद से टेरर फंडिंग के मामले में जेल में है। वो जम्‍मू लिब्रेशन फंट का अध्‍यक्ष है। ये वही फ्रंट है जिसकी कश्‍मीर में हिंदुओं की हत्‍या करने और उन्‍हें वहां से भगाने में अहम भूमिका रही है। यासीन मलिक खुद एक आतंकी रह चुका है। उसके ऊपर वर्ष १९९० में भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों की हत्‍या का आरोप लगा था जिसका अभी ट्रायल चल रहा है। इसके अलावा उस पर रुबैया सईद, जो पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्‍मद सईद की बेटी थी, के अपहरण का भी आरोप है।   

इन सभी आरोपों को मुशाल झूठा बताते हुए यासीन को बेगुनाह कहने से नहीं थकती है। उसकी गैरमौजूदगी में उसका काम मुशाल कर रही है और घिनौने आरोप लगा रही है। मुशाल सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है। उसके वैरिफाइड ट्विटर अकाउंट के करीब ८०००० से ज्यादा फालोवर्स हैं। इनमें अधिकतर पाकिस्‍तानी हैं। वो खुद को अलगाववादी नेता बताती है। वर्ष २०१९ में मुशाला पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित एक प्रोग्राम में हिस्सा लिया था और एक कविता भी पढ़ी थी। 

द कश्‍मीर फाइल्‍स के बाद अचानक सुर्खियों में आने वाली मुशाल का पति यासीन की जम्‍मू कश्‍मीर लिब्रेशन फ्रंट का एक अहम हिस्‍सा पाकिस्‍तान में आतंकियों का सरगना बना सैयद सलाहउद्दीन भी है जिसको पहले यूसुफ शाह के नाम से जाना जाता था। यासीन ने भी पाकिस्‍तान में अपने दूसरे साथियों के साथ आतंकी ट्रेनिंग ली है। १९९५ में उसने बंदूक छोड़कर भारत सरकार से बातचीत के जरिए किसी नतीजे पर पहुंचने का एलान किया। हालांकि उसका ये फैसला उसके ही दूसरे साथियों को पंसद नहीं आया। १९९५ में ही उसको जेकेएलएफ के संस्‍थापक अमानुल्‍लाह खान ने पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया। इसके कुछ दिन बाद ही यासीन ने खुद को सर्वेसर्वा बता खान को पार्टी से बाहर कर दिया। इस घटना के बाद जेकेएलएफ दो धड़ों में बंट गई। पाकिस्‍तान ने जेकेएलएफ के लीडर के रूप में यासीन को ही मान्‍यता दी। यासीन ने १९९५ के जम्‍मू कश्‍मीर विधानसभा चुनावों का विरोध किया।