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आपरेशन गंगा के बारे में गलतफहमी फैलाने पर भाजपा ने विपक्ष को घेरा, पहली बार दुनिया में दिखी तिरंगे की अहमियत
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आपरेशन गंगा के अंतिम चरण में पहुंचने के साथ ही कांग्रेस और विपक्षी नेताओं के बयानों पर भाजपा ने हमला बोला है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं और कुछ मुख्यमंत्रियों की ओर राजनीति किए जाने को दुखद बताया। उन्होंने कहा कि इस आपरेशन के दौरान पहली बार दुनिया में तिरंगे की अहमियत देखने को मिली। दूसरे देशों के छात्र भी तिरंगे का सहारा लेकर यूक्रेन से बाहर आने में सफल रहे। गोयल ने कहा कि एक बार सभी छात्रों के भारत लौट आने के बाद सरकार उनकी आगे की पढ़ाई के विकल्पों पर भी विचार करेगी।

आपरेशन गंगा की अहमियत और सफलता का विवरण देते हुए पीयूष गोयल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शीर्ष स्तर पर खुद इसकी निगरानी कर रहे थे। पांच राज्यों में चुनावी व्यस्तताओं के बावजूद प्रधानमंत्री ने इसके लिए आठ उच्चस्तरीय बैठकें कीं। साथ ही उन्होंने दुनिया के 11 नेताओं से अलग-अलग बात की। रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों के साथ तो कई दौर की बात हुई। प्रधानमंत्री ने एक-एक भारतीय छात्र की चिंता करते हुए उन्हें सुरक्षित निकालने का पुख्ता इंतजाम किया। यही नहीं, पहली बार स्थानीय प्रशासन फंसे हुए छात्रों के परिवार वालों के साथ सीधे संपर्क में रहा और उन्हें ताजा हालात से अवगत कराता रहा।

पीयूष गोयल ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार एकजुट होकर छात्रों को सुरक्षित लाने में जुटी थी, तो वहीं कांग्रेस और विपक्ष के नेता गलतफहमी फैलाने में लगे थे। इस सिलसिले में उन्होंने केरल कांग्रेस की ओर से आपरेशन की फोटो इंटरनेट मीडिया पर शेयर करने, जम्मू-कश्मीर के एक छात्र का वीडियो वायरल करने और राहुल गांधी की ओर से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का ट्वीट शेयर करने का हवाला दिया। जबकि कश्मीरी छात्र ने बाद में खुद ही स्थिति साफ कर दुष्प्रचार की हवा निकाल दी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने अपने राज्य के छात्रों को लाने के लिए अलग से प्रतिनिधिमंडल भेजना चाहा, तो एक अन्य राज्य के मुख्यमंत्री ने अपने छात्रों को प्राथमिकता के आधार पर वापस लाने की मांग उठाई।

गोयल ने विपक्ष के इस दावे की भी आलोचना की कि सरकार ने सिर्फ प्रचार पाने के लिए चार मंत्रियों को यूरोपीय देशों में भेजा था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों को छात्रों को निकालने के काम में बाधाएं दूर करने में मदद करने के लिए भारत के विशेष दूत के तौर पर तैनात किया गया था। गोयल ने यह भी कहा कि सरकार ने 15 फरवरी से एडवाइजरी जारी करना शुरू किया था, लेकिन छात्रों ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि उनके विश्वविद्यालयों ने उन्हें गुमराह किया जो संकट की गंभीरता को समझने में पूरी तरह विफल रहे।