यूक्रेन युद्ध की विभीषिका में कम हो गईं भारत-अमेरिका रूट की 500 सीटें, जानें कैसे बढ़ गईं यात्रियों की परेशानी
नई दिल्ली, जेएनएन । रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है और इसकी तपिश पूरे विश्व में महसूस की जा रही है। युद्ध की विभीषिका के गंभीर नतीजे तो देर-सवेर कुछ न कुछ सभी देशों को भुगतना पड़ेगा, लेकिन फिलहाल इसका सीधा असर भारत-अमेरिका हवाई मार्ग पर देखने को मिल रहा है। इस रूट पर प्रतिदिन 500 सीटें युद्ध की भेंट चढ़ गई हैं।
दरअसल, यूक्रेन युद्ध की वजह से हवाई क्षेत्र बंद होने और नो-फ्लाई जोन के चलते अमेरिका की यूनाइटेड एयरलाइंस ने मुंबई और नई दिल्ली से नेवार्क और सैन फ्रांसिस्को की अपनी उड़ानें अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी हैं। इसके चलते दोनों देशों के बीच इस रूट पर 500 सीटें कम हो गई हैं। इस रूट पर दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें बंद होने से यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है। अमेरिका जाने के लिए उन्हें किसी तीसरे देश के रास्ते से जाना पड़ रहा है। इससे समय अधिक लगने के साथ ही एक तरफ से 70 हजार रुपये से ज्यादा किराया देना पड़ रहा है।
उद्योग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना के चलते पहले ही उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। अब यूक्रेन युद्ध ने और मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। हाल ये है कि भारत और अमेरिकी के जिन कुछ शहरों के बीच अभी सीधी उड़ानें हैं भी उनमें अगले दो हफ्ते के लिए कोई टिकट नहीं है। मुसीबत यह है कि इस समय बबल व्यवस्था के तहत उड़ानें संचालित हो रही हैं। इसके तहत किसी एक शहर से दूसरे शहर के बीच ही यात्रा की जा सकती है। बबल व्यवस्था के तहत किसी तीसरे देश से होते हुए यात्रा करने की अनुमति नहीं है। परंतु, सीधी फ्लाइट में टिकट नहीं होने से यात्रियों को उन फ्लाइट में टिकट बुक कराने को मजबूर होना पड़ रहा है जो भारत और अमेरिकी के बीच किसी अन्य देश में रुकती हैं यानी उन्हें यात्रा ब्रेक करनी पड़ रही है।
कोरोना के चलते अभी नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित नहीं हो रही हैं। बबल व्यवस्था के तहत संचालित होने वाली उड़ानों की संख्या भी बहुत सीमित है। भारत ने 37 देशों के साथ द्विपक्षीय बबल व्यवस्था की है। इसके तहत जो रूट निर्धारित किए गए हैं, उन पर भी उड़ानों की संख्या बहुत सीमित है। इसकी वजह से भी यात्रियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, यात्रियों को इस मुसीबत से जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद है। सरकार ने इस महीने के आखिरी हफ्ते से नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने का फैसला किया है।