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: जब बेटियों ने भरी उड़ान तो कम पड़ गया आसमान, ५ ऐसे नाम जिन्होंने दुनिया में देश का नाम बढ़ाया
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। दुनिया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रही है। आइए इस मौके पर उन असाधारण महिला खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं जिसने अपने सपने को एक उड़ान दी और अपनी जिद से भारत का नाम पूरे विश्व में बढ़ाया। हमारा देश भारत इस मामले में बहुत ही लकी है जहां गीता-बबीता, साक्षी मलिक, हिमा दास, पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, दुती चंद, मनु भाकर, मिताली राज, एमसी मैरीकाम, झूलन गोस्वामी, मीराबाई चानू और लवलीना बोरगोहेन जैसे कितने नाम हैं जो जब भी भारतीय खेल प्रेमियों की जुबां पर आए तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया।

आज हम उन पांच महिला खिलाड़ियों का जिक्र करेंगे जिसके बारे में हम गर्व से कह सकते हैं कि हम उस देश के वासी हैं जहां ये खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व करती हैं।

पीवी सिंधु- भारत की एकमात्र महिला खिलाड़ी जिन्होंने लगातार दो ओलंपिक में देश को मेडल दिलाया और देशवासियों का सर फख्र से उंचा कर दिया। सिंधु ने पहले २०१६ रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल और फिर टोक्यो ओलंपिक में ब्रोंज पर कब्जा किया। सिंधु ने चीन की ही बिन जियाओ को २१-१३, २१-१५ से हराकर इतिहास रचा।

उन्होंने न केवल बैक टू बैक ओलंपिक मेडल जीता बल्कि ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला बनीं।

सिंधु पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थी जो वर्ल्ड चैंपियन बनीं। २०१५ को छोड़ दिया जाए तो उन्होंने हर साल वर्ल्ड कम्पीटिशन में मेडल जीता। सिंधु को २०२० में पद्म भूषण, २०१५ में पद्म श्री, २०१३ में अर्जुन पुरस्कर और २०१६ में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न से सम्मानित किया गया।मिताली राज- जिस देश में क्रिकेट को पूजा जाता हो और जहां कपिल देव, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और विराट जैसे वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी हो उस देश में मिताली राज का फैंस के दिलों में जगह बना लेना आसान काम तो नहीं है।

मिताली फिलहाल न्यूजीलैंड में खेले जा रहे महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत का नेतृत्व कर रही हैं। ये उनका छठा वर्ल्ड कप है और वे ६ वर्ल्ड कप खेलने वाली दुनिया की एकमात्र खिलाड़ी हैं। उन्होंने इससे पहले २०००, २००५, २००९, २०१३ और २०१७ में वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया था।

इतना ही नहीं मिताली राज ने भारत के लिए २२६ वनडे मैचों में ५१.५६ की औसत से ७,६३२ रन बनाए हैं जो किसी भी महिला क्रिकेटर द्वारा बनाया गया सर्वाधिक रन है।

मीराबाई चानू- बहुत कम लोग होते हैं जो सफलता पाकर उन लोगों को याद रखते हैं जिन्होंने उनकी तब मदद की थी जब उनको सबसे ज्यादा जरूरत थी। मीराबाई चानू एक ऐसा नाम जिसने टोक्यो ओलंपिक में सबसे पहले भारतीयों के चेहरे पर मुस्कान लाई। चानू ने ४९ किलोग्राम कैटेगेरी में २०२ किलोग्राम का वजन उठाकर देश को झूमने का मौका दिया। लेकिन सही मायनों में वो वजन २०२ किलो का नहीं बल्कि १३० करोड़ भारतीयों का था जो उनसे मेडल की आस लगाए बैठे थे।

१२ साल की उम्र में लकड़ी का बोझा उठाने वाली चानू ने न केवल करोड़ों भारतीयों के उम्मीदों को उठाया बल्कि उसे सफलतापूर्वक मेडल में भी बदला।

लवलीना बोरगोहेन- लवलीना जब टोक्यो ओलंपिक खेलने गईं थीं तो शायद ही किसी ने उनसे मेडल की उम्मीद लगाई होगी क्योंकि लोगों की सबसे बड़ी उम्मीद थी एमसी मैरीकाम। लेकिन ६९ किलोग्राम भार वर्ग में लवलीना ने बाक्सिंग में देश की उम्मीदों को खाली जाने नहीं दिया और ब्रोंज मेडल अपने नाम किया। २०२० में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

एमसी मैरीकाम- भारतीय महिला खिलाड़ियों की कोई भी सूची बिना मैरीकाम के खत्म नहीं हो सकती है। १ मार्च १९८३ को मणिपुर में जन्मी मैरीकाम एकमात्र ऐसी महिला बाक्सर हैं जिन्होंने ६ बार वर्ल्ड बाक्सिंग चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया है। २०१२ ओलंपिक में ब्रोंज मेडल जीतने वाली मैरीकाम देश की एकमात्र बाक्सर थी जिन्होंने इस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था। इतना ही नहीं २०१४ एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाली वो भारत की पहली महिला बाक्सर थीं।

उन्हें २००३ में अर्जुन पुरस्कार, २००९ में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, २०१० में पद्म श्री और २०१३ में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इन पांच महिला खिलाड़ियों ने न केवल अपने हौंसले और जुनून से पूरी दुनिया में देश का नाम बढ़ाया बल्कि देश की आधी आबादी को अपने सपनों से लड़ने और उसे पूरा करने की हिम्मत दी।