अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day ) हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं खुलकल जश्न मनाती हैं। मनाएं भी क्यों न, आज महिलाएं पुरुषों से पीछे नहीं हैं। आज की महिलाएं अपने सपनों की उड़ान भरने में यकीन रखती हैं। हालांकि कई लोगों के मन में इस दिन को लेकर कई तरह के सवाल आते हैं। जैसे क्यों मनाते हैं ये दिन, 8 मार्च को ही क्यों, इस दिन का रंग क्या है, इसकी जरूरत क्या है..वगैराह। ऐसे में हम आपको बताएंगे इस दिन से जुड़ी कुछ रोचक बाते।
सबसे पहसे जानते हैं कि आखिर 8 मार्च को ही क्यों-
सन 1917 में युद्ध के दौरान हड़ताल तक इसे औपचारिक रूप नहीं दिया गया था। हालांकि जब रूसी महिलाओं ने 'रोटी और शांति' की मांग में हड़ताल की तो चार दिन बाद राजा को पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और अनंतिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। हड़ताल 8 मार्च को शुरू हुई और यह वह तारीख बन गई जब अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
कैसे हुई इस दिन की शुरुआत?
इस दिन की शूरुआत एक आंदोलन से हुई थी। दरअसल, साल 1908 में 15000 महिलाएं ने कम का घंटे, बेहतर सैलरी और वोट देने के अधिकार की मांग करते हुए न्यूयॉर्क में मार्च निकाला था। जिसके एक साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहले राष्ट्रीय महिला दिवस की घोषणा की। ये थी क्लारा जेटकिन जो एक कमयूनिस्ट और महिलाओं के अधिकार के लिए वकील भी। क्लारा ने ही अंतर्राष्ट्रीय दिवस के निर्माण का सुझाव दिया था। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में मनाया गया था। वहीं साल 1975 में चीजों को आधिकारिक बना दिया गया जब संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को मनाना शुरू किया।
क्यों मनाया जाता है ये दिन
वैसे तो आज समाज काफी आगे निकल गया है, लेकिन महिलाओं के हक की लड़ाई आज भी जारी है। हालांकि कई महिलाएं ऐसी हैं जो आज भी अपने हक के लिए के लिए लड़ रही है, आज भी कई जगहों पर सम्मान और अधिकार नहीं मिल रहे है। ऐसे में ये दिन महिलाओं के अधिकार, सम्मान दिलाने के लिए समाज को जागरूक करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है।