हथियारों की आक्रामक बिक्री रणनीति ने शांतिप्रिय देशों को आर्म्स का जखीरा बढ़ाने पर किया विवश
हथियारों की आक्रामक बिक्री रणनीति ने शांतिप्रिय देशों को आर्म्स का जखीरा बढ़ाने पर किया विवश
नई दिल्ली, जेएनएन। हथियार न केवल किसी देश की ताकत बढ़ाकर उसके आत्मविश्वास में इजाफा करते हैं बल्कि नापाक इरादों वाले देशों में खौफ की वजह भी बनते हैं। कटिंग एज तकनीक से लैस अत्याधुनिक हथियारों को बनाने में कंपनियां भारी निवेश कर रही हैं। लिहाजा उनकी मांग भी दुनिया में बढ़ी है। इसी बीच इनकी आक्रामक बिक्री रणनीति ने शांतिप्रिय देशों को भी हथियारों का जखीरा बढ़ाने पर विवश किया है। भले ही उनके यहां जनकल्याण से जुड़े मदों में ज्यादा धन न खर्च हो, लेकिन अपनी संप्रभुता और सीमाओं की सुरक्षा के लिए वे सैन्य साजोसामान जुटाने की ओर प्रेरित होते हैं। महामारी के दौर में जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट में थी, तब भी हथियार कंपनियों की कमाई बढ़ती गई। स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपरी) की 2021 में जारी रिपोर्ट में इसकी साफ झलक दिखती है। 2015 में सीपरी ने अपनी सूची में चीन की हथियार कंपनियों को भी शामिल कर लिया था। 2015 से तुलना करें तो 2020 में दुनिया की टाप 100 कंपनियों की हथियार बिक्री 17 प्रतिशत बढ़ गई। महामारी के पहले साल में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी, तब भी विभिन्न देशों का रक्षा क्षेत्र पर खर्च कम नहीं हुआ था। सबसे आगे हैं अमेरिकी कंपनियां : टाप 100 कंपनियों में अमेरिकी कंपनियों का सबसे ज्यादा दबदबा है। इनमें 41 कंपनियां अमेरिका की हैं। 2020 में इन कंपनियों ने 285 अरब डालर के हथियार बेचे। 2019 की तुलना में इसमें 1.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सभी 100 कंपनियों की बिक्री में इनकी हिस्सेदारी 54 प्रतिशत रही। 2018 से लगातार शीर्ष पांच स्थानों पर अमेरिकी कंपनियां काबिज हैं। यही नहीं, बदलते माहौल में अमेरिकी कंपनियों के बीच विलय और अधिग्रहण के मामले भी खूब देखे जा रहे हैं। दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी चीन की : दुनिया की टाप 100 कंपनियों में चीन की पांच कंपनियां हैं। इन कंपनियों ने 2020 में 66.8 अरब डालर के हथियार बेचे। 2020 में कुल बिक्री में इनका हिस्सा 13 प्रतिशत रहा, जो अमेरिकी कंपनियों के बाद दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा है। चीन की कंपनियों के बढ़ते कारोबार में वहां की सरकार के सैन्य आधुनिकीकरण अभियान की अहम भूमिका है। चीन सरकार तेजी से अपनी सेनाओं को उन्नत करने में लगी है। इसका सीधा फायदा वहां की कंपनियों को हो रहा है। यूरोपीय कंपनियां भी नहीं हैं पीछे : टाप 100 में यूरोप की 26 कंपनियां शामिल हैं। इन्होंने कुल 109 अरब डालर के हथियारों की बिक्री 2020 में की, जो कुल बिक्री के 21 प्रतिशत के बराबर है। इसमें ब्रिटेन की सात कंपनियों ने 2019 की तुलना में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 2020 में 37.5 अरब डालर के हथियार बेचे। टाप 10 कंपनियों में ब्रिटेन की बे सिस्टम्स इकलौती यूरोपीय कंपनी है। 6.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ इसने 2020 में 24 अरब डालर के हथियार बेचे। गिर रही रूसी कंपनियों की बिक्री : रूस की हथियार कंपनियों की बिक्री में लगातार तीन साल से गिरावट दिखी है। टाप 100 में रूस की नौ कंपनियां शामिल हैं। 2017 में इन कंपनियों की बिक्री शीर्ष पर थी। इसके बाद से इनमें गिरावट आ रही है। कुल बिक्री में इनकी हिस्सेदारी पांच प्रतिशत है।