सोनभद्र। अपना दल एस जनपद सोनभद्र छपका कार्यालय भगवान बिरसा मुंडा जयन्ती समारोह पर जिलाध्यक्ष अंजनी पटेल की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य दिनेश बियार , विशिष्ट अतिथि गण राष्ट्रीय महासचिव (व्यापार मंच) ज्यूत नारायण पटेल , कार्यवाहक प्रदेश पदाधिकारी प्रदेश उपाध्यक्ष (युवा मंच) आनंद पटेल दयालू , प्रदेश सचिव (युवा मंच) आलोक पाण्डेय, प्रदेश सचिव (छात्र मंच) रविन्द्र यादव, प्रदेश सचिव (अल्पसंख्यक मंच) जनाब महताब आलम रहे।
मुख्य अतिथि बियार ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्मदिन, आदिवासियों के लिए ऐतिहासिक दिन हैं. भगवान बिरसा मुंडा के पिता का नाम सुगना पूर्ति और माता का नाम करमी पूर्ति था. कम उम्र में ही बिरसा मुंडा की अंग्रेजों के खिलाफ जंग छिड़ गई थी, जिसे उन्होंने मरते दम तक कायम रखा था. बिरसा मुंडा और उनके समर्थकों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे. जल, जंगल, जमीन और स्वत्व की रक्षा के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया. आजादी के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले बिरसा ने उलगुलान क्रांति का आह्वान किया. भगवान बिरसा मुंडा की गौरव गाथा युगों – युगों तक प्रेरणा देती रहेगी.
विशिष्ट अतिथि ज्यूत नारायण पटेल ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जी ने मातृभूमि की आन-बान और शान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनकी जन्म-जयंती ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के पावन अवसर पर उन्हें मेरा कोटि-कोटि नमन।"
विशिष्ट अतिथि आनन्द दयालु ने कहा कि वह दूरदर्शी थे. उन्हें एहसास हुआ कि अंग्रेज जनता पर अत्याचार करने और धन को विदेश ले जाने के लिए इस भूमि पर आए हैं। उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में गिना जाता है, जिन्होंने गैर-आदिवासियों द्वारा भूमि पर कब्ज़ा करने से रोकने के लिए आदिवासियों का नेतृत्व किया, जिससे वे अपनी ही भूमि में बंधुआ मजदूर बन गए।
अंजनी पटेल ने कहा कि चाहे अंगरेजों के खिलाफ संघर्ष की बात हो, आदिवासियों की जमीन लूटने या टैक्स लादने का मामला हो या जमींदारों-महाजनों द्वारा आदिवासियों पर अत्याचार करने का, बिरसा मुंडा ने बड़ी भूमिका अदा की और अंगरेजों-उनके दलालों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. बिरसा मुंडा के उलगुलान (1895-1900) ने अंगरेजों को इतना भयभीत कर दिया कि एक रणनीति के तहत बिरसा मुंडा और उनके आंदोलन को खत्म कर दिया गया. 15 नवंबर,2024 को बिरसा मुंडा के जन्म का 150वां वर्ष आरंभ होगा. पूरा देश एक वर्ष तक इस राष्ट्रीय नायक की यादों को ताजा करेगा. एक दौर था, जब बिरसा मुंडा के संघर्ष को सिर्फ छोटानागपुर तक समेट कर रखा गया था। ०९जून १९०० में अंग्रेजों ने दातून पानी में जहर देकर मार डाला था।
जयन्ती समारोह का संचालन पूर्व मीडिया प्रभारी विकास पटेल ने किया।
इस अवसर पर कृष्णकान्त कुशवाहा, श्यामसुंदर पटेल, संतोष कनौजिया, अजीत विश्वकर्मा, आनंद पटेल,विकास गोंड़ , चन्द्र शेखर सिंह, हरिप्रसाद धांगर, प्रवीण त्रिपाठी, सोनी ख़ान, महेंद्र पटेल मंजू देवी, बिनोद कोरी,दीपक सिंह राजपूत सहित पदाधिकारी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।