शारदीय नवरात्रि: स्कंदमाता की उपासना से कुंडली में बृहस्पति होता है मजबूत जाने पूजा विधि, मंत्र, भोग, उत्पत्ति, कथा
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। इस साल 7 अक्टूबर को मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। स्कंदमाता को मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि स्कंदमाता भक्तों की समस्त कामनाओं की पूर्ति करती हैं। मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। स्कंदमाता की पूजा से भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनकी पूजा से भक्त अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं मां के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में-
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
देवी स्कंदमाता की पूजन विधि
मां के समक्ष पीली चुनरी में एक नारियल रखें. स्वयं पीले वस्त्र धारण करके 108 बार “नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा. ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी" मंत्र का जाप करें. इसके बाद नारियल को चुनरी में बांधकर अपने पास रख लें. इसको अपने शयनकक्ष में सिरहाने पर रखें. स्कंद माता की पूजा से संतान की प्राप्ति सरलता से हो सकती है. इसके अलावा, संतान से कोई कष्ट हो रहा हो तो उसका भी अंत हो जाएगा.
स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल अर्पित करें और पीली चीजों का भोग लगाएं. ऐसा माना जाता है कि कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं. किसी भी पूजा को संपूर्ण तभी माना जाता है जब आप अपने आराध्य की कोई प्रिय वस्तु उन्हें अर्पित करें तो चलिए अब आपको बताते हैं वो विशेष प्रसाद जिसके अर्पण से मां स्कंदमाता प्रसन्न होती है.
देवी स्कंदमाता की पूजा का लाभ
स्कंदमाता की पूजा से संतान की प्राप्ति का फल प्रदान होता है. इसके अलावा अगर संतान की तरफ से कोई कष्ट है तो उसका भी अंत हो सकता है. स्कंदमाता की पूजा में पीले फल अर्पित करें तथा पीली चीजों का भोग लगाएं. अगर पीले वस्त्र धारण किए जाएं तो पूजा के परिणाम अतिशुभ होंगे. इसके बाद देवी मां के सामने बैठकर प्रार्थना करें.
कुंडली में बृहस्पति को बनाएं मजबूत
कहते हैं कि स्कंदमाता की उपासना कर कुंडली में देवगुरु बृहस्पति को मजबूत बनाया जा सकता है. इसके लिए सबसे पहले पीले वस्त्र धारण करें और फिर मां के समक्ष बैठें. इसके बाद "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः" का जाप करें. देवी मां से बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने की प्रार्थना करें. आपका बृहस्पति मजबूत होता जाएगा.
स्कंदमाता के लिए मंत्र
साथ ही देवी मां के इस मंत्र का 11 बार जप भी करना चाहिए। मंत्र है-
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्कंदमाता का विशेष प्रसाद
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं. इसके बाद इसको प्रसाद रूप में ग्रहण करें. संतान और स्वास्थ्य दोनों की बाधाएं दूर होंगी. इसके बाद स्कंदमाता के विशेष मंत्र- “नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा। ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी" का जाप करें.
मां स्कंदमाता की क्यों हुई उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार, संसार में जब तरकासुर का अत्याचार बढ़ने लगा तो सभी देवी-देवता, मनुष्य, गंधर्व, ऋषि-मुनि आदि चिंतित हो गए। उन सभी ने माता पार्वती से तरकासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करी।
कौन हैं मां स्कंदमाता
चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता देवी पार्वती या मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप हैं। ये चार भुजाओं वाली माता शेर पर सवारी करती हैं।इनके हाथों में कमल पुष्प होता है और अपने एक हाथ से ये अपने पुत्र स्कंद कुमार यानि भगवान कार्तिकेय को पकड़ी हुई हैं।भगवान कार्तिकेय को ही स्कंद कुमार कहते हैं। स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद कुमार की माता।
स्कंदमाता की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तारकासुर नाम का एक राक्षस था, जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया। उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। कहा जाता है कि स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के पश्चात भगवान स्कंद ने तारकासुर का वध किया।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
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