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नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की भक्तों ने की आराधना

सोनभद्र। 
 शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि है। इस दिन कलश स्थापना की जाती है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक ही हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही घर में सुख एवं समृद्धि आती है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना पर 3 दुर्लभ एवं शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की आराधना होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना का मुहूर्त, मां शैलपुत्री की पूजा विधि, आरती भोग और मंत्र सब कुछ।
वही अचार सौरभ कुमार भारद्वाज ने बताया कि 
कलश  स्थापना तिथि और  मुहूर्त 
कलश स्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्तूबर 03, 2024 को 12:18  बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्तूबर 04, 2024 को 02:58  बजे

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 
कन्या लग्न प्रारम्भ - अक्तूबर 03, 2024 को 06:15  बजे
कन्या लग्न समाप्त - अक्तूबर 03, 2024 को 07:21 सुबह बजे
कलश स्थापना मुहूर्त - 06:15  से 07:21 
अवधि - 01 घण्टा 06 मिनट
कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:46 ए एम से 12:33 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 47 मिनट 
देवी शैलपुत्री वृषभ पर सवार हैं। माता ने श्वेत रंग के वस्त्र ही धारण किये हुए हैं। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। मां का यह रूप सौम्यता, करुणा, स्नेह और धैर्य को दर्शाता है। मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं। मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना करने से चंद्र दोष से मुक्ति भी मिलती है।