: जब एक विदेशी ने भारतीय इतिहास को मिटने से बचा लिया ::
एक ऐसा अंग्रेज़, जिसने ना सिर्फ़ भारत की सबसे पुरानी लिपि को पढ़ने में सफलता पाई, बल्कि उसी के साथ भारत के सबसे महान सम्राट की गाथा एवं भारत में बुद्ध के इतिहास को प्रमाणित कर दिखाया।
वो अंग्रेज़ इतिहासकार थे, जेम्स प्रिंसेप। ये जब भारत आए, तो इन्होंने देखा कि भारत के अलग अलग राज्यों में कुछ पत्थरों के शिलालेख, खंबे एवं स्तूप, मिट्टी से ढके हुए हैं, और इन पर किसी अनजानी भाषा में कुछ लिखा हुआ है।
वर्षों की मेहनत के बाद, उन्हें इस भाषा को पढ़ने में सफलता मिली। इस लिपि का नाम था " धम्म लिपि" (पाली भाषा), जो उस समय भारत में प्रमुखता से प्रयोग की जाती थी। इसी भाषा से सदियों बाद देवनागरी लिपि (हिन्दी लिपि) का जन्म हुआ। खोजबीन से उन्हें यह भी पता चला कि आस पास के कई देशों में भी कुछ ऐसे ही शिलालेख मिले हैं तथा पत्थरों पर यह लेख किसी महान राजा ने गुदवाए हैं।
जानते हैं ये स्तूप और शिलालेख भारत के किस महान राजा ने बनवाए थे ? वे थे चक्रवर्ती सम्राट अशोक। जी हां, ये वही शक्तिशाली सम्राट अशोक थे, जिन्हें सम्मान देने के लिए भारत देश आज भी अपने राष्ट्रीय चिन्ह के रुप में चार शेरों वाली लाट (अशोक की लाट) व भारत के तिरंगे में चक्र (अशोक चक्र) का प्रयोग करता है।
भारत के इतिहास में, सबसे बड़ा साम्राज्य सम्राट अशोक के ही पास था। इन्होंने जो शिलालेख लिखवाए थे, उनमें गौतम बुद्ध (बौद्ध धर्म) के उपदेश तथा मौर्य साम्राज्य की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां अंकित थीं। यदि जेम्स प्रिंसेप इस भाषा को डीकोड ना कर पाते, तो शायद हम कभी भी अपने भारत के स्वर्णिम इतिहास (प्रमाणित इतिहास) के बारे में नहीं जान पाते।
आज भारत के ही कई लोग, अपने निजी धार्मिक कारणों से, सम्राट अशोक के महान इतिहास और बौद्ध धर्म से परहेज़ करने लगे हैं। किंतु मेरा यह मानना है, कि जब सम्राट अशोक एवं बौद्ध धर्म भारत में ही जन्मे हैं, तो हमें इन्हें अपनी ताकत बनाना चाहिए, ना की कमज़ोरी। भारत का जो बौद्ध धर्म आज विश्व में फैल कर, 10 देशों का प्रमुख धर्म बन चुका है, ये हम सब भारतीयों की सांस्कृतिक उपलब्धि ही तो है। गौतम बुद्ध किसी एक समुदाय के नहीं, बल्कि सभी भारतीयों के हैं।
जय हिन्द। जय सम्राट ।