Right Banner

अपहरण के तीन दोषियों को 10- 10 वर्ष की कैद
* 13- 13 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर 6-6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
* एक वर्ष पूर्व दुकानदार का अपहरण करने का मामला

सोनभद्र। एक वर्ष पूर्व दुकानदार का अपहरण करने के मामले में वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम खलीकुज्जमा की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर  तीन दोषियों निशु शाह उर्फ सद्दाम, अब्दुल वाजिद व गुलाम रसूल को 10- 10 वर्ष की कैद व 13- 13 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6-6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। 
अभियोजन पक्ष के मुताबिक घोरावल कोतवाली क्षेत्र के जयमोहरा धरसडा गांव निवासी पंकज गुप्ता पुत्र रामा गुप्ता ने थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि  16 मार्च 2022 को शाम 8 बजे वह अपनी परचून की दुकान पर बैठा था तभी सफेद रंग की बगैर नंबर की पिकअप से तीन लोग आ गए और स्प्राईट व बिसलेरी बोतल मांगा। जब उन्हें दे दिया तो वे लोग जाने लगे। जब पैसे की मांग किया तो तीनों ने उसे जबरन पकड़ लिया और पिकअप पर बैठाकर गली देते हुए ले जाने लगे और यह कहने लगे कि जान से मारकर फेक दिया जाएगा। जब गुरेठ गांव की ओर से जा रहे थे तभी दो पुलिस वाले दिखाई दिए, जिन्हें देखकर बचाओ कहकर चिल्लाने लगा। पुलिस वालों ने शक होने पर पिकअप का पीछा किया और आगे जाकर रोक दिया। इतने में तीनों कूदकर अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल हो गए। पुलिस वालों के साथ थाने पर पिकअप पर बैठकर आया और तीनों अपहरण करने वालों  घोरावल निवासी निशु शाह उर्फ सद्दाम पुत्र मुहम्मद ईदीश शाह उर्फ लल्लन,  अब्दुल वाजिद पुत्र जलील मंसूरी उर्फ बेचू व गुलाम रसूल उर्फ बीएल मंसूरी के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज कराया, क्योंकि इन्हें पहले से जानता था। इनलोगों ने पहले भी दुकान से सामान लिया है और पैसा नहीं दिया, बल्कि जान मारने की धमकी दी जाती है। मामले की विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने न्यायालय में  चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर तीनों दोषियों निशु शाह, अब्दुल वाजिद व गुलाम रसूल को 10- 10 वर्ष की कैद व 13- 13 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6-6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता कुंवर वीर प्रताप सिंह ने बहस की।