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साल का दूसरा चंद्र ग्रहण आज, क्या है समय और क्या करने होगे उपाय, पूरी जानकारी

दिनेश यादव की रिपोर्ट

सतना।विक्रम संवत् 2080 अर्थात 2023-24 मे पृथ्वी पर कुल तीन सूर्यग्रहण एवं एक चंद्र ग्रहण घटित होंगे। इसके अलावा इस वर्ष भू-लोक पर दो उपच्छाया ग्रहण भी बनेंगे। शुक्रवार 5 मई व 6 मई की रात्रि चंद्र ग्रहण आरंभ से समाप्ति तक भारत में दिखाई देगा। इस चंद्र ग्रहण का स्पर्श 5 मई रात्रि 8.44 बजे से आरम्भ होगा। ग्रहण का मध्य रात्रि 10.53 बजे बताया गया है और ग्रहण का मोक्ष या समाप्ति रात 1.02 बजे यानि 6 मई को होगा। संवत 2080 में दो उपच्छाया ग्रहण के योग बन रहे हैं। इसमें से पहला ग्रहण तथा इस वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 5 मई को घटने जा रहा है। उपच्छाया ग्रहण वास्तव में चंद्रग्रहण नहीं होता है।
प्रतीक चंद्रग्रहण के घटित होने से पहले चंद्रमा पृथ्वी के उपच्छाया में प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य भी कहा जाता है। इसके पश्चात ही चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है और उसी स्थिति में वास्तविक चंद्र ग्रहण होता है। धर्मशास्त्रकारों ने इस प्रकार के उप ग्रहणों में चंद्र बिम्ब पर मालिन्य मात्र छाया आने के कारण इन्हें ग्रहण की कोटि में नहीं रखा है। ऐसे ग्रहण चन्द्र के उपच्छाया ग्रहण या चन्द्र मालिन्य कहलाते हैं। इस प्रकार के उपच्छाया ग्रहणों के चलते ग्रहण की समयावधि में चंद्रमा की चांदनी में कुछ धुंधलापन आ जाता है लेकिन वह अदृश्य नहीं होती। बताया गया कि शुक्रवार 5 मई की रात्रि ग्रहण की समय अवधि में चंद्रमा के ऊपर किसी भी प्रकार का ग्रहण नहीं लगेगा बल्कि उसकी चांदनी में थोड़ा-सा धुंधलापन आ जाएगा। क्योंकि वास्तविक तौर पर आज होने वाला चंद्र ग्रहण चंद्रमा का उपग्रहण है।
 
उपच्छाया ग्रहण में सूतक का प्रभाव नहीं
भारतीय पंचांग की मान्यताओं के अनुसार ग्रहण का सूतक उसी स्थान में प्रभावशाली होता है जहां पर ग्रहण पड़ता है। जहां पर ग्रहण नहीं पड़ रहा है वहां सूतक की मान्यताएं नहीं होती हैं। इसके अलावा उपच्छाया ग्रहण में भी किसी भी प्रकार का सूतक प्रभावी नहीं होता है। इस प्रकार से आज घटित होने वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण ग्रहण ना होकर उपग्रहण है। अत: इसमें सूतक आदि की मान्यताएं प्रभावी नहीं होंगी। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार यह खगोलीय घटना ग्रहण की श्रेणी में नहीं है। अत: ग्रहण संबंधी पथ्य-अपथ्य का विचार ना करते हुए, पूर्णिमा से संबंधित व्रत, उपवास, दान इत्यादि का अनुष्ठान करना चाहिए। आज होने वाले ग्रहण में ग्रहण के सूतक, स्नान, दान इत्यादि का विचार भी नहीं किया जाएगा। मंदिर के पट इत्यादि खोले जा सकेंगे तथा ग्रहण संबंधी सावधानियां तथा राशियों के ऊपर उसके प्रभाव भी प्रभावी नहीं होंगे।