त्रिपुरासुर , शंखचूर्ण संहार की कथाओं का किया वर्णन
देव मणि शुक्ल
नोएडा सेक्टर 82 स्थित प्राचीन तपोभूमि ब्रम्हचारी कुटी में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के छठवें दिन कथा व्यास महेश पाठक शास्त्री जी ने भगवान शिव द्वारा दुर्दांत दैत्यों का संहार सहित तमाम रोचक प्रसंगों का वर्णन किया। जब असुरों के अनाचार से पृथ्वी और देवताओं में हाहाकार मच गया ।भगवान शिव की सभी देव आराधना करते हैं तब शिव जी त्रिपुरासुर और शंखचूर्ण नामक तमाम दैत्यों का संहार कर सभी को भयहीन करते हैं।शंखचूर्ण की हड्डियों से शंख बना है इसलिए भगवान शिव की पूजा में शंख से जल अर्पित करना वर्जित है।अन्य प्रसंग में व्यास जी ने बताया कि तुलसी और शालि ग्राम को साथ रखना चाहिए जिससे दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है। इनके विग्रह से दाम्पत्य जीवन में कटुता आती है।इसलिए शालिग्राम पर तुलसी दल अर्पित किया जाता है। यज्ञाचार्य मनोहर शास्त्री जी एवं उप यज्ञाचार्य सुमित तिवारी के साथ विद्वान ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार के बीच सभी देवताओं का पूजन कराया गया तदोपरांत हवन यज्ञ किया गया। आयोजन समिति के सदस्य राघवेंद्र दुबे ने बताया कि शिव महापुराण की कथा में 28 अप्रैल दिन शुक्रवार को द्वादश ज्योतिर्लिंगों की कथा का वर्णन किया जाएगा । सभी शिव भक्त शिव महापुराण की कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करें। इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्य राघवेंद्र दुबे, कुटी व्यवस्थापक विकास भारती, फलाहारी महाराज, देवेंद्र गुप्ता , एन के सोलंकी, पंडित अखिल पांडेय, रवि राघव,विकास शर्मा,अशोक कुमार, अमितेश सिंह , संतोष तिवारी, राजवीर सिंह, परदेशी, बाबा हलवाई , मंगू त्यागी, राज कुमार त्यागी , पंडित सागर द्विवेदी, मनोज कुमार चतुर्वेदी, पंडित विनोद शास्त्री , पंडित गोविंद शास्त्री सहित तमाम भक्तजन मौजूद रहे। तमाम लोग मौजूद रहे।