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जनपद में लू से बचाव हेतु अपर जिलाधिकारी ने एडवाइजरी जारी की
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आधुनिक समाचार सेवा 
        डाॅ०रणजीत सिंह
प्रतापगढ़। अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) त्रिभुवन विश्वकर्मा ने बताया कि भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब किसी जगह का स्थानीय तापमान लगातार तीन दिनों तक वहॉ के सामान्य तापमान से 03 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहे तो उसे लू या हीट वेव कहते है। जब वातावरणीय तापमान 37 डिग्री0 सेल्सियस तक रहता है तो मानव शरीर पर उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है पर जैसे ही तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ता है तो हमारा शरीर वातावरणीय गर्मी को शोषित कर शरीर के तापमान को प्रभावित करने लगता है।
                  गर्मी में सबसे बड़ी समस्या होती है लू लगना। गर्मी में उच्च तापमान में ज्यादा देर तक रहने से या गर्म हवा के झोकों के सम्पर्क में आने पर लू लगती है। 
              अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) ने लू (हीट वेव) से बचने के उपाय के सम्बन्ध में बताया है कि अधिक से अधिक पानी पियें, यदि प्सास न लगा हो तो भी पानी पिये ताकि शरीर में पानी की कमी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सके। हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहनें। धूप में गमछे, चश्मे, छाता, टोपी व पैरों में चप्पल का उपयोग अवश्य करें,अगर आप खुले में कार्य करते है तो सिर, चेहरा, हाथ-पैरों को गीले कपड़े से ढके रहे तथा छाते का प्रयोग करें। लू से प्रभावित व्यक्ति को छाये में लिटाकर सूती गीले कपड़े से पोछे अथवा नहलायें तथा चिकित्सक से सम्पर्क करें। 
   यात्रा करते समय पीने का पानी अवश्य साथ रख लें, गीले कपड़े को अपने चेहरे, सिर और गर्दन पर रखें। शराब, चाय, काफी जैसे पेय पदार्थो का इस्तमाल न करें, यह शरीर को निर्जलित कर सकते हैं। ओ0आर0एस0 घोल घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माड़), नीबू पानी, छाछ, कच्चे आम से बना पन्ना आदि का उपयोग करें जिससे कि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके। अगर आपकी तबियत ठीक न लगे तो गर्मी से उत्पन्न होने वाले विकारों, बीमारियों को पहचाने और किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर तुरन्त चिकित्सकीय परामर्श लें। अपने घरों को ठण्डा रखें, पर्दे, दरवाजे आदि का उपयोग करें तथा शाम/रात के समय घर तथा कमरों को ठण्डा करने हेतु इसे खोल कर रखें। पंखे, गीले कपड़ों का उपयोग करें तथा बारम्बार आवश्यकतानुसार स्नान करें। कार्य स्थल पर ठण्डे पीने का पानी रखें और उसका नियमित उपयोग करते रहें। घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढ़ायें। गर्भवती महिला कर्मियों तथा रोगग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त एवं विशेष ध्यान रखें। 
                 उन्होंने यह भी बताया  कि धूप में खड़े वाहनों में बच्चे एवं पालतू जानवरों को धूप में न छोड़े, कड़ी धूप (खासकर दोपहर 12 बजे से अपरान्ह 3 बजे तक) के बीच सूर्य की रोशनी में जाने से बचें। आपात स्थिति में निपटने के लिये प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें। गहरे रंग के भारी एवं तंग वस्त्र न पहने इससे बचें। जब गर्मी का तापमान ज्यादा हो तो श्रमसाध्य कार्य न करें। नशीले पदार्थ, शराब/अल्कोहल के सेवन से बचें। उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचे, बासी भोजन न करें। 
उन्होने लू के लक्षण के सम्बन्ध में बताया है कि गर्म, लाल शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना, तेज पल्स होना, उल्टे श्वास गति में तेजी, व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना अथवा इसमें कमी। 
      उन्होंने बताया कि लक्षण के चलते मनुष्यों के शरीर में उच्च तापमान से शरीर के आंतरिक अंगों,विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुॅचाता है तथा इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता हैं।मनुष्य के हृदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होता है।जो लोग एक या दो घंटे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री सेल्सियस से 105 डिग्री एफ0 या अधिक तापमान अथवा गर्म हवा में रहते है तो उनके मस्तिष्क में क्षति होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है। लू कब लगती है के सम्बन्ध में बताया है कि गर्मी में शरीर के द्रव्य बॉडी फल्यूड सूखने लगते है, शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। विभिन्न स्थितियों में लू लगने की सम्भावना अधिक रहती है जैसे शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किसंस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह, ऐसी कुछ औषधियांँ जैसे डाययूरेटिक, एंटीस्टिमिनिक,मानसिक रोग की कुछ औषधियाँ हैं।