बाबा साहब ने’शिक्षित बनों’’ संगठित हों’संघर्ष करो’ का दिया था नारा-महाप्रबंधक
(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
गोरखपुर।पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबन्धक चन्द्र वीर रमण की अध्यक्षता में सोमवार को रेलवे प्रेक्षागृह गोरखपुर में ’’भारत रत्न’’ बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में समारोह का आयोजन किया गया। महाप्रबन्धक चन्द्र वीर रमण ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
इस दौरान महाप्रबन्धक पूर्वोत्तर रेलवे चन्द्र वीर रमण ने कहा कि ’’भारत रत्न’’ बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1981 को इन्दौर के पास महू छावनी मध्य प्रदेष में हुआ था, इस दिन को हम अम्बेडकर जयन्ती के रूप में मनाते है। बाबा साहब एक ’’युग प्रवर्तक’’ थे साथ ही साथ बाबा साहब शिक्षा के धनी थे, उन्होंने ’शिक्षित बनों’, ’संगठित हों’ तथा ’संघर्ष करो’ का नारा दिया।
उन्होंने कहा कि षिक्षित समाज से तात्पर्य डिग्रियां प्राप्त करने से नहीं था, बल्कि एक समझदार, जागरूक और विचारषील समाज से था, जो राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे सके। संगठन से बाबा साहब का तात्पर्य था, एकमत होकर, एक समान निष्ठा और कर्तव्यबोध के साथ लक्ष्य की ओर बढ़ना था। उनके अनुसार जागरूक रहकर स्वविवेक से उचित-अनुचित की पहचान करना और उद्देष्य के लिये संगठित होकर सत्याग्रह करना था। महाप्रबन्धक श्री रमण ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जन्म दिवस के अवसर पर इस समारोह में हम सभी को उनके दिखाये मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी चाहिये।
प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी श्री बिपिन कुमार सिंह ने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के बताये मार्ग पर चलने के लिये संकल्पित होकर हम उनकी जयन्ती मनाते हैं। बाबा साहब बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे, जिसके कारण उन्हें भारत का संविधान रचने का कार्य सौंपा गया और वे संविधान रचयिता कहे गये।
मुख्य कार्मिक अधिकारी आई. आर. श्रीमती रेनू यादव ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि दुनिया में प्रत्येक मनुष्य पैदा होता है। दुनिया में रहते हुए उसका स्वर्गवास हो जाता है, परन्तु कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जिनका कर्म, सेवा, समर्पण, तपस्या, बलिदान ऐसा होता है जिसे याद करने को भावी पीढी विवष हो जाती है।
ऐसे ही महान व्यक्ति डॉ0भीमराव अम्बेडकर थे।, जिन्होंने अपने कर्म, सेवा, त्याग, संघर्ष के साथ उच्च षिक्षा प्राप्त किया।सन् 1956 में बाबा साहब ने हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया। उनकी लाइब्रेरी में लगभग 50 हजार पुस्तकंे थीं जो यह बताता है कि उन्हें षिक्षा से कितना लगाव था। बाबा साहब ने सभी को समानता का अधिकार दिलाया और छूआछूत का अंत कराया।
इस अवसर पर महाप्रबन्धक रमण अपर महाप्रबन्धक ए.के. मिश्रा, प्रमुख विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम के आरम्भ में पूर्वोत्तर रेलवे कला समिति के कलाकारों ने भजन प्रस्तुत किया। समारोह में प्रमुख मुख्य विभागाध्यक्ष, महामंत्री, एन.ई. रेलवे मजदूर यूनियन, अध्यक्ष एवं महामंत्री, अनुसूचित जाति एवं जनजाति एसोसिएषन तथा वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य रेलकर्मी उपस्थित थे।
समारोह में उप मुख्य कार्मिक अधिकारी आई.आर. आर. पी.चन्द ने महाप्रबन्धक रमण सहित सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर एक श्रेष्ठ चिन्तक, ओजस्वी लेखक स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री के रूप में सदैव याद किये जायेंगे। कार्यक्रम का संचालन कला समिति की श्रीमती रचना श्रीवास्तव ने किया।