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ऐतिहासिक बाराही मेला-2023

मेले में गांव की खुशबू, संस्कृति और सभ्यता का विशाल रूप छिपा हुआ है -अमन भाटी 

देव मणि शुक्ल 

 नोएडा सूरजपुर में चल रहे प्राचीन ऐतिहासिक बाराही मेला.2023 के आठवें दिन, बुद्धवार को कॉमेडी की दुनिया के सितारे अमन भाटी उर्फ खालिद और चाचा श्यामलाल की जोडी की एंट्री हुई और जिनकी एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड बेकाबू दिखाई दी। सरल भाषा मे अमन भाटी उर्फ खालिद ने ऐतिहसिक प्राचीन बाराही मेला-2023 के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मेला का शब्द छोटा नही है, इसमें भारतीय संस्कृति और सभ्यता का विशाल रूप छिपा हुआ है। दंगल और मेले पुरानी संस्कृति का परिचय कराते हैं। इस तरह की परंपराओं को समाज में लगातार बढावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेले की बेला यहां सबसे बडी है, अब जब भी यहां आएंगे, पूरा मजा रौंद के जाएंगे। सभी को प्यार और बडो का पैर छुई छुआ। शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी, महासचिव ओमवीर बैंसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल, मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा और बिजेंद्र ठेकेदार, जगदीश भाटी, विनोद सिकंद्राबादी, राजकुमार नागर, विनोद पंडित तेल वाले, राजपाल भडाना,रूपेश चौधरी, हरीश नागर आदि पदाधिकारियों ने अमन भाटी उर्फ खालिद और चाचा श्यामलाल व उनकी पूरी टीम का माल्यापर्ण और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। सांस्कृतिक कायक्रमों की श्रंखला में राजबाल एंड पार्टी राजस्थान के कलाकारों ने कालबेलियां डांस की प्रस्तुति देते हुए लोगों का मनमोह लिया। जब कि रात्रिकालीन कार्यक्रमों में कर्मवीर बैंसला, बलराम बैंसला, रविंद्र बैंसला, मीनू चौधरी और कल्पना शर्मा ने एक से बढ कर रागनियां प्रस्तुत करते हुए खूब वाहवाही लूटी। पायल चौधरी और डिंपल चौधरी ने नृत्य प्रस्तुत करते हुए खूब धमाल मचाया। कर्मवीर बैंसला ने वीर हकीकत राय के किस्से से- कहीं मान लुटे, मेरे लाल का डाका पड गया....... और बलराम बैंसला ने देशभक्ति रागनी- कितने वीर चले गए मेरी भारत मां पर मरके, आजादी की लिखी कहानी, कलम लहू में भरके. प्रस्तुत कर श्रोताओं को वीर रस से सराबोर कर दिया। मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में इस मौके पर जिला होम गार्ड कमांडेट गौतमबुद्धनगर वेदपाल चपराना और विशिष्ठ अतिथि के तौर पर भाजपा के पूर्व ग्रेटर नोएडा मंडल अध्यक्ष सतीश गुलिया ने शिकरत की। इन अतिथियों ने ऐतिहासिक बाराही मेला-2023 के महत्व पर प्रकाश डाला। शिव मंदिर मेला समिति की ओर से ओमपाल भाटी, सतपाल ठेकेदार, भास्कर अवस्थी, नरेंद्र शर्मा, ओमवीर विधूडी, टेकचंद प्रधान, सतपाल शर्मा एडवोकेट,श्रीचंद भाटी, आचार्य सुमित शुक्ला, लीलू खारी, गौरव नागर, परमानंद शर्मा, रघुवीर जेसीबी वाले आदि मुख्य अतिथि वेदपाल चपराना और विशिष्ठ अतिथि सतीश गुलिया का माल्यापर्ण कर और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि कल दिनांक 14 अप्रैल.2023, शुक्रवार  की सांय हरियाणा और राजस्थान के कलाकारों तथा विभिन्न स्कूलां द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। जब कि रात्रिकालीन रागनियों के रंगारंग कार्यक्रमों में ज्ञानेंद्र सरदाना, पूजा शर्मा, देवेंद्र डॉगी, कशिश चौधरी, शगुन चौधरी, सचिन नागर, दिनेश पीलवान और अर्पित राठी आदि कलाकार खास प्रस्तुतियां देंगे।  इस मौके पर कार्यक्रम मे चौधरी धर्मपाल भाटी प्रधान, ओमवीर बैंसला, लक्ष्मण सिंघल, मूलचंद शर्मा और ब्रहम सिंह नागर, राकेश बैंसला, भीम खारी, तोलाराम, राजवीर शर्मा, देवेंद्र देवधर, विनोद पंडित तेल वाले आदि मेला समिति के पदाधिकारी और गणमान्यजन उपस्थित रहे।

बाराही मेले में बनी चौपाल पर ग्रामीण जनजीवन पर आधारित चीजों की दिखाई दे रही है झलक

कृषि  प्रधान भारत की आत्मा गांवों में ही बसती है। प्राचीनकाल से ही मनुष्य की आजीविका कृषि और पशुपालन पर निर्भर है। कंप्यूटरीकरण के इस दौर में अब ग्रामीण संस्कृति एक तरह से लुप्त होती जा रही है। घर में हर दिन काम आने वाली चीजें भी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखी जानी शुरू हो गई हैं। हुक्का, दही मथने वाली रई, पीढा, ईंढी, चारा काटने वाली मशीन और बैलगाडी अब इतिहास की धरोहर बन गई हैं। बाराही मेले में ग्रामीण संस्कृति की इन चीजों का विशेष ख्याल रखा गया है। यहां एक चौपाल बनी हुई है। इस बाराही बैठक पर इन सब चीजों के दर्शन आसानी से किए जा सकते हैं। बाराही चौपाल पर सबसे बडी खाट है जिसकी लंबाई करीब 12 गुणा 6 फीट है। सबसे बडा हुक्का जिसकी उंचाई करीब 5 फीट है। सबसे बडा पीढा है जिसकी लंबाई और चौडाई 2 गुणा 2 है। इसी प्रकार विश्व की सबसे बडी रई है, जिसकी उंचाई करीब 8 फीट और चौडाई 2 फीट है। इसके साथ ही चारा काटने की मशीन,चक्की, कुठला, राया और बैलगाडी भी हैं। शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी, महासचिव ओमवीर बैंसला और मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि कंप्यूटरीकरण के दौर में ये ग्रामीण जनजीवन पर आधारित  चीजें अब लुप्त होनी शुरू हो गई हैं। नई पीढी के बच्चों से इन चीजों के बारे में पूछा जाए तो बता नही पाएंगे? शिव मेला समिति के कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल ने बताया कि ग्रामीण जनजीवन पर आधारित इन चीजों की झलक दिखाने के लिए चौपाल का निमार्ण कराया था। वर्ष 2001 मेंं जब शिव मंदिर मेला समिति आसित्व में आई थी, उसी समय से यह चौपाल शुरू हुई थी। हर बाराही मेले में इन चीजों को प्रदर्शन के लिए रखा जाता है, ताकि लोगों को अपनी धरोहर और संस्कृति का भान होता रहे।

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