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विगत कुछ वर्षों में देश भर के युवाओं की पसंद बन चुके एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने आज अपने अलग अंदाज से अपनी गायकी, हिंदी भाषा में अपनी पकड़ और शब्द शैली के उचित संयोजन से अपने उदघोषण , अभिनय में दस्तक देकर चारित्रिक अभिनेता के रूप में अपनी अलग पहचान के साथ साथ कंपेयर ,वक्ता ,वार्ताकार जर्नलिस्ट, लेखक ,कवि और समाज सेवक और अब मोटिवेशनल स्पीकर की बहुमुखी प्रतिभा के माध्यम से हर दिन कुछ नया करके जनता के हृदय  में अमिट छाप छोड़ने  वाले प्रियांशु श्रीवास्तव का अब तक का सफर जितना उपलब्धियों से भरा हुआ और सफल दिखता है उसके पीछे एक कांटों से भरे मार्ग पर चलकर दर्द और पीड़ा की संघर्ष भरी कहानी को आज हमारे संवाददाता के द्वारा साक्षात्कार के माध्यम से आप सबके बीच प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्न:
आज आप सफल है या अभी भी खुद को स्ट्रगलर ही मानते हैं?

उत्तर:
हर मेहनत करने वाला इंसान स्ट्रगलर होता है और मैं मेहनत करना चाहता हूं मैं अपने कर्म के प्रति अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी से काम करते हुए जीवन के अंतिम पड़ाव तक स्ट्रगल करूंगा, सफल होना या असफल होना एक परिणाम है जिसे मैं सोचता नहीं।

प्रश्न:
हाल में ही आपने कई राष्ट्रीय सम्मान और विभिन्न पुरस्कार अर्जित किए हैं उस पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:
जी हां मैंने जो कार्य किया कलाकारों के प्रति सेवा भाव से कोरोना काल में मैंने उनके हित के लिए राष्ट्रव्यापी लड़ाई लड़ी जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा नारी शक्ति सम्मान एवं राज्य सरकार द्वारा काशी अवध रत्न सहित एक दर्जन से अधिक पुरस्कार मुझे मिले इसके अलावा गायन एवं अभिनय के क्षेत्र में बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर ,मोस्ट इंस्पायरिंग पीपल  अवार्ड, द रियल सुपर हीरो अवार्ड ,साई नाथ रत्न अवार्ड ,प्रयागराज गौरव सम्मान, इंडियन आइकन अवार्ड सहित सौ से अधिक सम्मान मुझे विभिन्न संस्थाओं द्वारा मिले जिसके लिए मैं सभी का शुक्रगुजार हूं।

प्रश्न:
आप अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए कि कैसे आप इस क्षेत्र में आए और आपको क्या सहयोग परिवार से मिला।

उत्तर:
यह आपने सही पूछा क्योंकि मेरा वर्तमान मेरे अतीत की ही देन है मेरे पिताजी जिला पंचायत में लिपिक के पद पर कार्यरत थे लेकिन उन्होंने अपनी पत्रकारिता से प्रदेश में एक वरिष्ठ पत्रकार की पहचान बनाई थी साथ ही देश के बड़े मंच पर साहित्य को प्रचारित प्रसारित करने के उद्देश्य से एक ऊर्जावान कवि के रूप में भी मेरे पिताजी स्वर्गीय राकेश कुमार वर्मा का योगदान रहा । उन्होंने मुझे मेरी चार  वर्ष की उम्र से ही मंच पर स्थान दिलाया और मेरे मन से भीड़ का सामना करने का डर खत्म किया, मेरी माता जी स्वर्गीय नूतन वर्मा ने भी मुझे मेरे सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए सदैव सहयोग किया तभी आज बत्तीस वर्ष के सफल सफर को पूर्ण कर पाया हूं ।आज मेरे माता-पिता मेरे साथ नहीं है लेकिन उनके आशीर्वाद से ही मैं आज जहां हूं उनकी ही देन है ,मेरे चाचा जी श्री राजीव वर्मा जो कि पत्रकारिता जगत के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं उन्होंने मेरा बहुत साथ दिया और सबसे महत्वपूर्ण मेरी पत्नी श्वेता ,मेरे भाई-बहन मेरा बेटा ,मेरे मित्र ,सहकर्मी ,कार्यालय के अधिकारीगण और मेरे घर की अभिभावक मेरी दादी ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया।

प्रश्न:
आपके आगामी प्रोजेक्ट क्या-क्या है
उत्तर:
मैं फिलहाल दो वेब सीरीज ,एक भोजपुरी फिल्म एक बॉलीवुड फिल्म और कुछ शार्ट फिल्म में अभिनय के साथ-साथ अपने गायन और उद्घोषण पर बहुत चुनिंदा और मनपसंद प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा हूं,।

प्रश्न:
हमने सुना है आप एक सरकारी कर्मचारी भी हैं आप इसको कैसे मैनेज करते हैं।
उत्तर:
जी हां मैं जिला पंचायत प्रयागराज में कनिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यरत हूं ,
वह मेरी कर्म भूमि है जिसे मैं पूरा समय देते हुए अपने लोक सेवक होने के दायित्वों को निभाने का प्रयास करता हूं और उसके बाद बचे हुए समय में मैं अपने शौक तथा अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा करता हूं।

प्रश्न:
आप मंचो पर कहते हैं कि अध्यक्ष जिला पंचायत प्रयागराज द्वारा आपका पुनर्जन्म हुआ ये कहा तक सत्य है?
उत्तर:
यह बिल्कुल सत्य है इन परिस्थितियों में  मैं अनुकंपा की नियुक्ति के लिए जिला पंचायत कार्यालय के चक्कर लगाने लगा जिंदगी उस मोड़ पर आ चुकी थी परिवार के सहित आत्महत्या जैसे ख्याल मन में आने लगे थे जीने की चाह नहीं रह गई थी लेकिन मेरे जीवन को नई दिशा देने का कार्य करने के लिए शायद ईश्वर ने किसी को सुनिश्चित कर रखा था और वह थे जिले के प्रथम व्यक्ति समाजसेवी एवं जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ वीके सिंह जी जिन्होंने अपना कार्यभार संभालते ही पहले ही दिन मेरी नियुक्ति की फाइल पर प्रथम हस्ताक्षर करके मुझे पुनर्जीवन दिया ,साथ ही पूर्व विधायक श्री दीपक पटेल जी ने भी मेरे इस खराब वक्त में मुझे सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण से ऊर्जा दी,यह बात मैं अध्यक्ष जी से  कभी कह नहीं सका लेकिन शायद मेरे अभिभावक के रूप में ईश्वर ने मुझे पुनः मेरे सर पर उनके रूप में  अभिभावक रूपी हाथ दे दिया था, । उनके लिए तो एक हस्ताक्षर आम बात थी लेकिन यह हस्ताक्षर मेरे और मेरे परिवार के लिए पुनर्जीवन था।
उसके बाद ही मैंने जिला पंचायत की नौकरी ज्वाइन की और पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्म पथ पर चल पड़ा लेकिन विधाता को यह भी मंजूर नहीं था पिछले साल मेरी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई और वह नौबत फिर  आ गई कि चिकित्सकों द्वारा मुझे भी कैंसर जैसी बीमारी से डराया गया लेकिन ईश्वर ने इस बार संभाला और बहुत जल्द इस समस्या से मुझे एक उबार दिया।


प्रश्न:
माता-पिता के गुजर जाने के बाद पिछले दोवर्ष आपने जीवन के सबसे कष्ट पूर्ण वक्त बिताएं क्या उस पर भी कुछ कहना चाहेंगे।

उत्तर:
वह ऐसा ऐसा बुरा दौर था जिसे याद करके ही सिहर उठता हूं,बात नवम्बर 2020 की है मेरी  बहन की शादी हम सब ने धूमधाम से की और उसके चौबीस दिन बाद ही मेरे पिताजी का साया हम सब से उठ गया हम लोग अभी कुछ समझ ही पाते कि तब तक मेरी माताजी भी इस दुनिया को छोड़ कर चली गई ऐसा लगता था मानो हमारा आकाश और हमारी धरती हमसे छिन  गई हो ,वक्त अभी थमा नहीं था कि मेरी पत्नी को कैंसर जैसी भयावह बीमारी ने जकड़ लिया समाज, रिश्तेदार और दुनिया को पहचानने का वह सही वक्त  था वो जब  पच्चीस  लाख से ऊपर का कर्ज और घर की  जिम्मेदारी के साथ साथ  समाज परिवार में संतुलन बैठाना और पत्नी का इलाज और माता-पिता को खोने के बाद स्वयं की  मनोस्थिति अवसाद की तरफ मुझे लेकर जा रही थी।

 

प्रश्न:
अपनी उपलब्धि का श्रेय आप किसे देते हैं।

उत्तर:
परमपिता परमेश्वर ,मेरे माता-पिता ,मेरी पत्नी मेरा समस्त परिवार और मुख्य रूप से मेरे कर्म भूमि में मेरे अभिभावक जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ वीके सिंह इसके पूर्ण हकदार हैं जिन्होंने मुझे  पुनर्जीवन दिया अन्यथा यदि मैं ही ना होता तो मेरी सफलता कैसी और आज भी मैं अपने कार्य के साथ-साथ समाज में सक्रिय रहता हूं उसमें उनका सदैव योगदान है।

प्रश्न:
आप एक गायक के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में और अब मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी जाने जाते हैं यह आपको कैसा लगता है  एवं अन्य लोक सेवकों को भी आप क्या संदेश देना चाहते हैं।

उत्तर:
निश्चित रूप से अच्छा लगता है क्योंकि मैं सकारात्मक दृष्टिकोण से समाज के सामने भजन एवं देशभक्ति भाव से ओतप्रोत  गीतों को प्रस्तुत कर  एवं सामाजिक कर्तव्यों निर्वाहन करते हुए कला एवं  साहित्य को पेश करता हूं मेरा मानना है की  समाज के प्रति समस्त लोक सेवकों की जिम्मेदारी है कि वह अपने कार्यों के साथ-साथ समाज की सेवा करें, राज्य सरकार द्वारा आप राज्य सरकार के सेवक हैं तो हर सेवक की जिम्मेदारी समाज के प्रति भी उतनी ही बनती है जो भी जिस क्षेत्र में सक्षम है मदद करें जैसे मैं मलिन बस्ती के बच्चों को पढ़ाने के लिए, ब्लड कैंप आयोजित करने में ,वृद्ध आश्रम में वृद्धों की सेवा करने में एवं विविध प्रकार से जो भी संभव हो पाता है कैंसर रोगियों की सेवा करने में मनोरोगियों की सेवा करने में इस प्रकार से मदद करता हूं समस्त लोक सेवकों का फर्ज है कि वह भी आगे आएं और देशहित में राष्ट्रहित में बचे हुए समय में समाज की सेवा करें।

प्रश्न:
अंत में आप अपने साहित्य सांस्कृतिक एवं कलात्मक अनुभव पर प्रकाश डालिए?
उत्तर:
मेरे अल्पकालिक कैरियर में मैंने सात सौ से अधिक मंच किए हैं जिसमें गायक के रूप में उद्घोषक के रूप में मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में वक्ता के रूप में मेरी प्रस्तुति रही है ।
मुख्य रूप से भजन गायक एवं म्यूजिक कंपोजर भाई आशीष शर्मा के साथ मैंने पांच सौ से अधिक मंच साझा किए हैं टी सीरीज , सिसोदिया जैसी कंपनी के लिए ऑडियो रिकॉर्ड किए हैं और लगभग एक दर्जन फिल्में जिसमें बॉलीवुड ,भोजपुरी ,वेब सीरीज और शार्ट फिल्मों से मैं जुड़ा हूं इसके साथ में सामाजिक क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से समाज सेवा करने को अपना सौभाग्य समझता हूं तथा दूरदर्शन प्रसार भारती के साथ मैं कंपेयर के रूप से भी सेवा दे रहा हूं और कोरोना काल में आकाशवाणी प्रयागराज के माध्यम से मैंने छह प्रस्तुतियां देकर प्रसार भारती की भी सेवा की है।