इलाहाबाद हाईकोर्ट: निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होंगे
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ का यूपी के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर फैसला आ गया है। निर्णय के अनुसार, यह चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होंगे। इससे चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है।
कोर्ट में सुनवाई चलते रहने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग के अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने कहा है कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा। कोर्ट ने बिना आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने के निर्देश दिए।
बता दें कि ट्रिपल टेस्ट में एक आयोग का गठन किया जाता है, जो निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति का आकलन करता है। इसके बाद पिछड़ों के लिए सीटों के आरक्षण को प्रस्तावित करता है। दूसरे चरण में स्थानीय निकायों द्वारा ओबीसी की संख्या का परीक्षण कराया जाता है और तीसरे चरण में शासन के स्तर पर सत्यापन कराया जाता है।
मामले में याची पक्ष ने कहा था कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है।
जिस पर राज्य सरकार ने दाखिल किए गए अपने जवाबी हलफनामे में कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। सरकार ने ये भी कहा था कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता।सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है? इस पर सरकार ने कहा कि 5 दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है।