मधुर भंडारकर की फिल्म को देखकर कोरोना महामारी के दौरान की कड़वी यादें हो जाएंगी ताजा
नई दिल्ली। मधुर भंडारकर की फिल्म इंडिया लॉकडाउन कोरोना महामारी से जुड़ी घटनाओं पर आधारित है। फिल्म में प्रतीक बब्बर, सई ताम्हणकर, श्वेता बसु प्रसाद, आहना कुमरा और प्रकाश जिलबाड़ी की अहम भूमिका है। इस फिल्म को देखने के बाद आपकी कोरोना महामारी से जुड़ी कई बुरी यादें ताजा हो जाएंगी। गौरतलब है कि भारत में कोरोना महामारी से जुड़ा लॉकडाउन 24 मार्च 2020 में लगा था। सब कुछ रुक गया था। यह फिल्म उसी से जुड़ी कहानी बताती है। इसमें चार कहानियां बताई गई है। फिल्म चारों कहानियों को एक साथ लेकर चलती है। इसमें प्रवासी मजदूर जोड़ा, एक अडल्ट वर्कर, एक पायलट और एक बेटी और पिता की कहानी है। सभी की समस्याओं को सटीक तरीके से फिल्माया गया है।
फिल्म का पहला भाग काफी डरावना है। इसमें चारों के संघर्ष को बताया गया है। यह महामारी के दौरान के पहले चरण की आपको याद दिलाती है, जहां पुलिस की गाड़ियां दिन भर पेट्रोल किया करती थी। मोबाइल और टीवी ही आपका एक बहुत अच्छा दोस्त हुआ करता था।
फिल्म का दूसरा भाग भी संघर्षों से जुड़ा हुआ है। माधव और फूलमती अपनी दोनों बेटियों को खाना खिलाने के लिए कूड़े के ढेर में खाना ढूंढते हैं। इस सीन को देखकर आपका दिल रो देगा। वहीं अडल्ट वर्कर मेहरून्निसा की कहानी भी काफी शानदार है। वह इस बुरे दौर में भी अपने आपको खुश रखने का प्रयास करती हैं। फिल्म का क्लाइमैक्स और एंडिंग भी दमदार है। इसमें बताया गया है कि आप अपने जीवन से संतुष्ट रहिए। पायलट को वर्क फ्रॉम होम से जूझना पड़ता है। एम नागेश्वर राव और उनकी गर्भवती बेटी स्वाति की खुशी आपकी आंखों में आंसू ले आएगी। फिल्म में सभी कलाकारों ने दमदार भूमिका निभाई है। सभी ने कोरोना महामारी के दौरान की घटनाओं को जीने का पूरा प्रयास किया है। प्रतीक बब्बर ने माधव और श्वेता बास ने बतौर मेहरून्निसा बहुत अच्छा काम किया है। सभी ने अपनी भूमिका को न्याय देने का प्रयास किया है। निर्देशन फिल्म में कोई भी बड़ा गाना नहीं है। मधुर भंडारकर फिल्म को रियल रखने में सफल हुए हैं। उन्होंने इसके पहले फैशन, हीरोइन और पेज 3 जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है। इसका भी उन्हें लाभ मिला है।