ईश्वर चंद की जयकारा लगा रहा व्यवसाई व मोटर एसोसिएशन
चिन्ता पाण्डेय
सोनभद्र। ऑनेस्ट एवं कर्त्तव्य परायण खनिज इंस्पेक्टर ईश्वर चंद की शान में सोनांचल ऑनर्स मोटर एसोसिएशन एवं खनन व्यवसाईयों ने अधिकारियों से मिलकर क़सीदे पढ़े। सोनांचल ऑनर्स मोटर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल किशोर सिंह एवं मीडिया प्रभारी अंकुर कश्यप ने जिला खनिज प्रभारी सोनभद्र से उनके दफ़्तर में मिलकर ईश्वर चंद की निष्पक्ष कार्यप्रणाली को लेकर तारीफ़ की। साथ ही यह भी कहा कि सोनभद्र जनपद में अवैध खनन एवं परिवहन को रोकने के लिए जनपद को ऐसे ही जांबाज़ एवं ईमानदार अधिकारी की ज़रूरत है। कमल किशोर ने जिला खान अधिकारी से कहा कि जनपद को ईश्वर चंद जैसे निष्पक्ष एवं ईमानदार अधिकारी की ज़रूरत है। ईश्वर चंद के जनपद में रहने से अवैध खनन एवं ओवरलोड परिवहन पूरी तरह से रुक जाएगा। निःसन्देह निर्भीक एवं ईमानदार कर्त्तव्य परायण खनिज निरीक्षक ईश्वर चंद की कार्यकुशलता के चलते बहुत हद तक ओवर लोड परिवहन पर काबू पा लिया गया है। साथ ही उन्होंने बहुत अधिक राजस्व भी जमा कराया है। जांच के समय ओवर लोड परिवहन पकड़े जाने पर उन्होंने कभी भी किसी को भी नहीं बख्शा। इसके लिए चाहे उनपर कितना ही दबाव बनाया जाये, कभी भी वह झुके नहीं। और न ही गांधी जी को देखकर उनका ईमान डिगा। उनको जांच के दौरान तमाम धमकियां एवं लालच दिया गया। इस पर भी ईश्वर के भरोसे सुनसान सड़क पर अंधेरी रातों में चुपचाप अपने फ़र्ज़ को अंजाम देते रहे ईश्वर चंद। भारत के इस लाल ने साबित कर दिया कि कफ़न में जेब नहीं होता। धन की लालसा भी भारत माता के इस सपूत का ईमान नहीं ख़रीद सका। बेदाग़ छवि का यह जवान बिना किसी लोभ के अपने फ़र्ज़ को अंजाम दे रहा है। इस बात का प्रमाण है कि जनपद के दर्जनों खनन व्यवसाईयों ने चुर्क स्थित सर्किट हाउस में विशेष सचिव खनन विपिन कुमार जैन एवं अपर सचिव निदेशक खनिज एस के सिंह से मिलकर ईमानदारी के ध्वज वाहक खनिज निरीक्षक ईश्वर चंद की भूरि भूरि प्रंशसा की। यही नहीं ईश्वर चंद की ईमानदारी एवं निष्ठा की हौसला अफजाई करते हुए व्यवसाईयों ने बाकायदा टेबल थप थपा कर सम्मान प्रकट किया। किसी भी कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के लिए इससे बड़ा अवार्ड और क्या हो सकता है। जब उस विभाग को रेवेन्यू देने वाले बिज़नेस मैन ही उच्चाधिकारियों से मिलकर उनके कामों की तारीफ़ में समवेत स्वर में क़सीदे पढ़ने लग जायें। खनन बेल्ट में जमकर फर्जी परमिट का खेल खेला जा रहा है। इसपर भी ईश्वर चंद ने काफी हद तक विराम लगा दिया। जबकि तीन फर्जी परमिट पकड़ा और कुछ संलिप्त लोगों के खिलाफ नामजद रोबेर्टसगंज कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज कराया। बाद में पुलिस विवेचना में बड़ी मछलियां भी फंस गई। परन्तु विवेचना को लटका कर बचाने की क्यावद की जा रही है। इस जांच में लाखों रुपए का ऑफर भी भारत माता के इस सच्चे सपूत को मिला था। परन्तु ईश्वर चंद ने सभी ऑफर और धमकियों की परवाह किये बग़ैर ईमानदारी के साथ अपने फ़र्ज़ को अंजाम दिया। वरना समाज का हाल यह है कि चांदी का जूता जब किसी के सर पर पड़ने लगता है तो हर दिशा से एक ही सदा आती है, वन्स मोर!! वन्स मोर!!। जिस दौरे क़यामत में लोगों के बीच भृष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाने की होड़ सी मची हो, उस ज़माने में ईश्वर चंद जैसी शख्सियत समाज के लिए एक सबक और प्रेरणा से कम नहीं। समाज से नैतिकता एवं ईमानदारी मनुष्य की पूंछ की तरह विलुप्त होती जा रही है। ऐसे में ईश्वर चंद जैसे ऑनेस्ट अधिकारियों के लिये समाज को मजबूती से खड़ा होना पड़ेगा। बचाकर रखना अपने बच्चों के लिए जीवन की चेतना। बाजारवादी समाज में अब कहाँ वह आचरण रामायनी, पाठ से बाहर हुई कामायनी।
ईश्वर चंद की दहशत का आलम यह है कि अब ओवर लोड और बिना परमिट के परिवहन करते वाहन पकड़े जाने पर ऑन द स्पॉट जुर्माना अदा कर रहे हैं। लेकिन अच्छे लोगों के साथ ही साथ समाज में बुरे लोग भी होते हैं। जिनको ऑनेस्ट खनिज इंस्पेक्टर ईश्वर चंद की ईमानदारी आंखों में सुअर के बाल की तरह चुभ रही है। ऐसे भ्र्ष्टचरित्र वाले लोग अपनी आधार भूत इच्छा की पूर्ति के लिए येन केन प्रकारेण ईश्वर चंद जैसे निर्भीक एवं कर्तव्य परायण अधिकारी की छवि धूमिल कर हटाना चाहते हैं। ऐसे धनपिपासु संकीर्ण मानसिकता के लोग साम, दाम, दण्ड एवं भेद की नीति अपना कर हर तरह से जांबाज़ खनिज इंस्पेक्टर ईश्वर चंद के मोरल को डाउन करने के फिराख में लगे हुए हैं। शायद वह भूल रहे हैं कि ऐसा कर वह समाज का ही नुकसान करेंगे। ईश्वर चंद जैसा ईमानदार अधिकारी युगों युगों तक गाहे बगाहे ही दुनिया के छितिज पर अपनी आभा बिखेरता है। ईश्वर चंद एक व्यक्ति नहीं अपितु एक नैतिकता का नाम है, एक आदर्श तहरीक का नाम है। आने वाली पीढ़ी शायद ही इस बात का यकीन करे कि ईश्वर चंद जैसा महामानव सोनभद्र की इस सरज़मीं पर काजल की कोठरी से बेदाग़ निकला था।
निर्भीक एवं जांबाज़ खनिज निरीक्षक ईश्वर चंद की कार्यप्रणाली को देखकर एक
शेर ज़ेहन में दस्तक़ दे रहा है। कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता। एक पत्थर तो तरबियत से उछालों यारों।