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मथुरा में संतान के सुख की चाह लेकर अहोई अष्टमी पर निसंतान दंपति आज अर्ध रात्रि 12 बजे राधा रानी कुंड में डुबकी लगाएंगे। डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में निसंतान दंपतियों ने राधाकुंड में डेरा डाल दिया है। अहोई अष्टमी पर राधाकुंड में स्नान आज सोमवार की अर्ध रात्रि को किया जाएगा। किसी की आंखों में उम्मीद की चाहोगी तो कोई मनोकामना पूरी होने पर खुशी के आंसू के साथ राधा कुंड में डुबकी लगाएगा।
अहोई अष्टमी मेले के लिए पुलिस प्रशासन सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।

अहोई अष्टमी मेले पर सोमवार की अर्धरात्रि 12 बजे राधा श्याम कुंड संगम स्थल पर स्नान होगा। इसके लिए राधाकुंड की गलियों में बने घरों में, धर्मशाला, मंदिर, मठ, गेस्ट हाउसों में विवाहित जोड़े ठहरे हुए हैं। राधा कुंड की सभी धर्मशाला और गेस्ट हाउस फुल हो चुके हैं। अहोई देवी मंदिर के सेवायत पंडित नंदकिशोर गोस्वामी ने बताया अहोई अष्टमी के खास दिन पर राधा रानी में स्नान करने के लिए मणिपुर, बंगाल, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश प्रांतों के साथ-साथ विदेशों से भी निसंतान दंपति संतान की आस लेकर श्रीधाम राधाकुंड आते हैं। पद्मश्री गो भक्त सुदेवी दासी ने कहा राधाकुंड आने पर उन्हें गो भक्ति का आलौकिक आनंद प्राप्त हुआ है। इस्कॉन के करीब 5 हजार भक्त राधा रानी की शरण में हरे कृष्णा हरे राम की धुन पर राधाकुंड को गुंजायमान कर रहे हैं। सोमवार की अर्ध रात्रि के 12 बजे सुबह से व्रत रख चंद्रमा के दर्शन कर निसंतान दंपति राधा रानी कुंड में स्नान करेंगे।

ये है परंपरा 
जिन दंपति की मनोकामना पूर्ण हो जाती है और संतान हो जाती है वे अपने बच्चे को लेकर यहां आते हैं और सुबह राधा कृष्ण कुंड में स्नान कर बच्चे का मुंडन कराते हैं। जो दंपति बच्चे की चाह में यहां आते हैं, वे अहोई अष्टमी पर व्रत रखते हैं। रात्रि को चंद्रोदय होने पर तारों की छांव में पूजा कर व्रत खोलते हैं और अहोई अष्टमी की कथा कहते हैं। इसके पश्चात रात्रि में 12:00 बजे पति-पत्नी हाथ पकड़कर कुंड में स्नान करते हैं और लाल कपड़े में बांधकर पेठे का फल कुंड में चढ़ा देते हैं।

अहोई अष्टमी मेले का धार्मिक महत्व
 अहोई अष्टमी स्नान के लिए राधाकुंड श्यामकुंड का धार्मिक महत्व पुराणों में बताया गया है। पुराने समय राधाकुंड को अरिष्ठासुर नामक राक्षस का नगर अरिष्ठ वन के नाम से जाना जाता था। अरिष्ठासुर नाम का राक्षस अति शक्तिशाली था। शेर से भी तेज उसकी दहाड़ सुनकर आसपास के क्षेत्र में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के गर्भ गिर जाते थे। अरिष्ठासुर राक्षस ने कंस के कहने पर गाय के बछड़े का रूप धारण कर बाल रूप श्री कृष्ण पर आक्रमण किया। कृष्ण ने बछड़े के रूप में आए राक्षस का वध कर दिया गया। जिससे भगवान को गो हत्या का पाप लगा। पाप से मुक्ति के लिए अहोई अष्टमी की अर्धरात्रि को भगवान कृष्ण और राधा द्वारा अलग-अलग दो कुंडों का निर्माण किया गया। जिसे आज राधाकुंड, श्यामकुंड के नाम से जाना जाता है।

29 घंटे वाहनों पर रहेगा प्रतिबंध 
 राधाकुंड में होने वाले अहोई अष्टमी स्नान को लेकर पुलिस प्रशासन की चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। इसके लिए राधाकुंड को 6 जोन और 12 सेक्टरों में बांटा गया है। अहोई अष्टमी मेले की व्यवस्था के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा दो एएसपी, पांच सीओ समेत 352 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में तैनाती की गई है।  पीएसी के जवान एवं स्थानीय गोताखोर तैनात रहेंगे। 17 अक्तूबर की सुबह 7 बजे से 18 अक्तूबर मंगलवार दोपहर 12 बजे तक रूट डायवर्जन व्यवस्था लागू रहेगी। इस समय वाहन राधाकुंड की ओर नहीं जा सकेंगे। बदली यातायात व्यवस्था में गोवर्धन से राधाकुंड को भारी वाहन प्रतिबंधित रहेंगे। गोवर्धन सीओ राम मोहन शर्मा ने बताया 17 अक्तूबर की सुबह से सुरक्षाकर्मी ड्यूटी पर तैनात किए जाएंगे।