महाराष्ट्र में शिंदे और ठाकरे गुट को चुनाव आयोग द्वारा अलग नाम और चुनाव चिह्न दे दिया गया है। इसके बावजूद दोनों गुटों में टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ढाल और तलवार का चुनाव निशान दिया। इसके बाद जहां शिंदे गुट के विधायक भरत गोगावाले ने इसे परफेक्ट बताया। वहीं, दूसरी तरफ विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि भाजपा की ढाल और विश्वासघात की तलवार शिंदे गुट के पास चली गई है।
दोनों गुटों को यह मिले हैं नए नाम और निशान
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर उपचुनाव लिए शिवसेना के दोनों धड़ों को पार्टी के नए चुनाव चिह्न और नाम को मंजूरी दे दी है। उद्धव ठाकरे गुट को जहां चुनाव निशान के तौर पर मशाल और 'शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे' नाम आवंटित किया। वहीं एकनाथ शिंदे के गुट को 'बालासाहेबंची शिवसेना' (बालासाहेब की शिवसेना) नाम आवंटित किया गया और चुनाव निशान के तौर पर ढाल और तलवार को मंजूरी दी गई है। कल चुनाव आयोग ने शिंदे खेमे के चुनाव चिह्न के रूप में 'त्रिशूल', ‘गदा’ और ‘उगते सूरज’ को खारिज कर दिया था और नए विकल्प मांगे थे। इसके बाद शिंदे गुट ने चमकते सूरज, ढाल-तलवार और पीपल के पेड़ के प्रतीक सुझाए।
दानवे ने कही यह बात
उधर अकोला अमरावती की यात्रा पर आए दानवे से शिंदे समूह की ढाल तलवार पर उनकी प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शिंदे समूह के विश्वासघात ने एक साधारण शिवसैनिक की जान ले ली है। आज भी शिवसेना की बारी ग्रामीण इलाकों में फैल चुकी है और आने वाले चुनाव में मतदाता उन्हें सबक सिखाने जा रहे हैं। चुनाव आयोग की ओर से दिया गया लोगो भी इसी पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है। भाजपा की ढाल और विश्वासघात की तलवार इसका सबक है।