सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में नीतिश राणा की अगुवाई वाली दिल्ली की टीम ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम का इस्तेमाल करने वाली पहली टीम बनी है। मणिपुर के खिलाफ खेले गए मुकाबले में दिल्ली ने इस नियम का इस्तेमाल किया और अपने पहले मुकाबले में 71 रनों से धमाकेदार जीत दर्ज की। मणिपुर ने इस मैच में टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी थी। दिल्ली ने मणिपुर के सामने जीत के लिए 168 रनों का लक्ष्य रखा था जिसके सामने यह टीम निर्धारित 20 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 96 ही रन बना सकी।
दिल्ली ने सबसे पहले किया ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम का इस्तेमाल
हितेन दलाल ने मणिपुर के खिलाफ पारी का आगाज करते हुए 27 गेंदों पर 7 चौकों और 1 गगनचुंबी छक्के की मदद से 47 रनों की सर्वाधिक पारी खेली थी। इसके बाद कप्तान नीतिश राणा ने ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम की मदद से हितेन को ऑफ स्पिनर ऋतिक शौकीन से रिप्लेस कर प्लेइंग इलेवन में शामिल किया। हितेन के बाद शौकीन ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए 3 ओवर में 13 रन खर्च कर दो विकेट चटकाए। मैच के दौरान मणिपुर की टीम भी इस नए नियम का लाभ उठाती नजर आई। मणिपुर ने अहमद शाह को बिश्वरजीत कोंथौजाम से रिप्लेस किया था।
क्या है ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम
इस नियम की मदद से फुटबॉल, रग्बी, बास्केटबॉल और बेसबॉल जैसे कई खेलों की तरह क्रिकेट में भी सब्सटिट्यूट खिलाड़ी का इस्तेमाल हो सकता है। टॉस के दौरान कप्तान को प्लेइंग इलेवन के साथ 4 ऐसे खिलाड़ियों के नाम देने होंगे जिन्हें वह मैच के दौरान इस्तेमाल करना चाहता हो। इनमें से टीम किसी एक ही खिलाड़ी को बतौर सब्सटिट्यूट मौका दे सकती है। अगर टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए जल्दी अपने विकेट खो देती है तो ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम की मदद से वह एक गेंदबाज की जगह सब्सटिट्यूट खिलाड़ी के रूप में किसी अतिरिक्त बल्लेबाज को मौका दे सकती है। वहीं अगर पहले बैटिंग करते हुए टीम ज्यादा विकेट नहीं खोती तो दूसरी पारी में टीम एक बल्लेबाजी की जगह अतिरिक्त गेंदबाज को टीम में शामिल कर सकती है। हालांकि सब्सटिट्यूट खिलाड़ी के आने के बाद मैदान छोड़ने वाला खिलाड़ी मैच में दोबार हिस्सा नहीं ले पाएगा।