पितृपक्ष या श्राद्ध का नाम हम सबने सुना है। आपने यह भी सुना होगा कि इस दौरान हमें अपने पूर्वजों को याद करना चाहिए और विधि विधान के साथ उनका तर्पण करना चाहिए।पितृ पक्ष की बहुत सारी गाथाएं हमारे पुराणों में कही गई है पर क्या आप यह जानते हैं कि महाभारत में भी पितृ पक्ष का वर्णन किया गया है।
इस साल पितृपक्ष का आरंभ 10 सितंबर को हुआ है तथा आख़िरी श्राद्ध 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर होगा।
सर्वपितृ अमावस्या वाले दिन हम अपने पितरों को अपने घर से विदा करते हैं। अगर किसी व्यक्ति को अपने किसी भी पूर्वज के स्वर्गवास की तिथि का ज्ञात नहीं है तो वह इस दिन अपने पितरों का तर्पण कर सकते हैं व श्रद्धा भाव से दान व पुण्य कर के अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। अगर आपके परिवार में किसी पूर्वज की अकाल मृत्यु हुई हो, तो उनका श्राद्ध भी सर्वपितृ अमावस्या वाले दिन किया जा सकता है। सायंकाल में इस दिन पीपल पर दिया अवश्य जलाना चाहिए व अपने पूर्वजों को प्रणाम करना चाहिए। गऊ माता, पक्षी और कुत्ते को भोजन देना इस दिन विशेष फल प्रदान करता है। आप इस दिन अपने पितरों का श्राद्ध किसी पवित्र नदी, सरोवर या किसी धार्मिक स्थल पर भी कर सकते हैं, इसी को पितृ विसर्जन कहा जाता है। जब भी आप अपने पितरों का श्राद्ध करें तो संपूर्ण श्रद्धा भाव से उनकी पूजा अर्चना कीजिए और ईश्वर से प्रार्थना कीजिए कि उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और हमारे जीवन में सुख व शांति बनाए रखें। पितृ पक्ष में कौवे को भोजन खिलाने से हमारे पूर्वज अति प्रसन्न होते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं। इस दिन आप ब्राह्मण को, ज़रूरतमंद व्यक्ति को या किसी अपाहिज को अपने पितरों का मनपसंद भोजन कराएं वह दान दक्षिणा अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करें और अपने पितृ का आशीर्वाद प्राप्त करें।