मैहर की जनता ने 24 वार्डो में पार्षद तो चुन लिया लेकिन अध्यक्ष पद को लेकर अब रण छिड़ रहा है
क्या जब पार्षद बिक कर अध्यक्ष लाएंगे तो कैसे होगा वार्ड का विकास, फिर जनता और पार्षद में अंतर क्या, 5 सालों तक जनता चुनाव के बाद विकास के लिए चिल्लाते है क्योंकि की हजारों रुपयों और दारू व मुर्गा में बिक जाते, अब पार्षद लाखो में बिकेंगे तो ये भी अपने वार्ड के विकास लिए चिल्लायेंगे क्योकि होगा कुछ नही क्योकि की लाखों की मिठाई का पैकेट तो खाकर पानी पीयेगे। मजेदार बात की ये राजनीति व चुनाव भी बड़ी अजीब चीज है,,, मथुरा का पेड़ा जैसा है जो खाये वो भी पछताए जो ना खाएं वो भी पछताए,, कुछ लोग दूसरों का देख कर पछताने में मजा लेते है कुछ खेल को खेल कर क्षेत्र में और जो एक बार किसी में बैठ जाते है दुबारा बैठने की ललक लिए हुए फिर चुनावी मैदान होते है जितने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते है रिश्ते नाते तक दाव पर लगा दिए जाते है। जब से नगरीय चुनाव हुए और पार्षद जीत कर आये उसके बाद अध्यक्ष को लेकर मोबाइलों में रण क्षीण गया है पार्षदों को पटाने जितना अपने सामने बैठके नही होती उससे ज्यादा तो मोबाइलों में महाकुंभ चल रहा है क्षेत्र में इन दिनों इस बात की चर्चा जोरों पर है कि जनता ने तो पार्षद चुनने में रुपया दारू मुर्गा खाया यही नही चुनावी रण में हर वार्ड में हर प्रत्यशियों से सब ने जिसको जो मिला खाया और जिताया किसी एक को लेकिन अब जितने के बाद अब पार्षदो को सरकार के नए नियमावली के अनुसार अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी पार्षदों को मिल गई जो जीते हुए प्रत्यशियों को चुनाव में किये गए खर्चे तो चार से छह गुना वशूलने का रामबाण हथियार मिल गया अब पार्षद भी जनता की तरह भरपूर वशूली के मूड में है ऐसी चर्चा जोरों पर चल रही है, वही अध्यक्षी को लेकर तीन लोगों में चर्चा जोर पकड़े हुए है जिसमे भाजपा से एक श्रीमती गीता संतोष सोनी, कांग्रेस से श्रीमती संतोष चौरसिया, निर्दलीय में ललिता सूर्यप्रकाश चौरसिया अध्यक्ष के मैदान में है, वही दूसरी तरफ भाजपा में भी गुटबाजी के माहौल जैसे लोगो को समझ मे आ रहा जिससे भाजपा में दूसरा नाम गुपचुप तरीके से नितिन ताम्रकार की भी चल रही है जिस पर लोगो का मानना है सतना जिला में नव निर्वाचित महापौर योगेश ताम्रकार के नितिन ताम्रकार बड़े ही करीबी व शायद रिस्तेदार भी है जिससे नितिन ताम्रकार के अध्यक्ष पद बैठने से कोई नही रोक सकता वही इस बात की भी चर्चा बड़ी जोरो से है सूत्र यह भी दावा कर रहे है कि शीतल नितिन ताम्रकार मैहर विधायक खेमे से भी है तो ऐसे में इनका विरोध कोई नही करने वाला इनके अध्यक्ष बनने से मैहर के रसूखदार नेता की भी बल्ले बल्ले हो जाएगी और रिस्तेदार व भाजपा की भी बात रह जायेगी जिसमे चित्त भी मेरी पट्ट भी मेरी, लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि श्रीमति शीतल नितिन ताम्रकार को कितने पार्षद पसंद करते है, वही श्रीमती गीता संतोष सोनी को भी जमीनी स्तर से लोग जानते है और भाजपा के सेवक पुराने थे लेकिन चुनाव जीतने के बाद पार्षदी पहली बार है जो देखा जाए तो नया चेहरा होगा नगर पालिका मैहर के लिए वैसे कुछ लोग भू माफिया के आरोप भी लगा रहे है जबकि जमीनी कारोबारी है ये सच है लेकिन प्रशासनिक तौर पर कही भी भू माफिया साबित नही हुआ है सवाल यह उठ रहा है कि जनता भी समझ रही है कि ज्यादा तर नेता जो चुनाव लड़कर जितने वाले कोई दूध बेचकर नही जीत हासिल करते है किसी न किसी तरह का व्यपार करते है तभी चुनावी मैदान में टिक पाया है वो जमाने चले गए कि एक व्यक्ति साइकिल से चलकर वोट मांगने वाला चुनाव जीत पाए, वैसे भी मैहर के लोगो ने तो ललिता सूर्यप्रकाश चौरसिया को भी अध्यक्ष पद पर कार्य शैली देखी है, श्रीमती संतोष चौरसिया को भी उपाध्यक्ष पद पर रहकर सेवा कार्य देखा है नितिन ताम्रकार को भी पार्षदी पद पर रख कर देख चुके है। जिनमे एक साफ व नया चेहरा गीता संतोष सोनी का है जो पहली बार की पार्षदी चुनाव में धमाकेदार एंट्री हुई जिस पर अब जीते हुए पार्षदों के ऊपर है कि नया चेहरा अध्यक्ष का लाते है या फिर पुराने चेहरे से ही मैहर की अध्यक्षी चुनते है, जबकि जन चर्चा ज्यादा ये है कि पार्षदों को खरीद फरोख्त से बचे और एक ऐसे व्यक्ति को अध्यक्ष बनाये की सबकी सुने इन तीनो में कोई हो क्योकि जब पार्षद खरीद फरोख्त से अध्यक्ष लाएंगे तो स्वभाविक है कि शहर का विकास कम नगर पालिका में लूट खसोट भृष्टाचार के सुर ज्यादा होगा और जनता व बिके हुए पार्षद भी दबाव में रहेंगे जिससे बिकास कम चिल्लाने का काम ज्यादा होगा वैसे भी मैहर एक ऐसा शहर है कि जहाँ एक बच्चों के लिए पार्क तक नही इससे बड़ी घटिया विकास क्या होगी