महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन ने मौनी बाबा के रचित अमर कथा महाकाव्य ग्रंथ का किया विमोचन
बलिया/लखनऊ।उत्तर-प्रदेश के राजभवन लखनऊ में आज दिन गुरुवार को महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के द्वारा स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी जी महाराज(मौनीबाबा) के द्वारा रचित अमर कथा महाकाव्य ग्रंथ का विमोचन की। इस दौरान बलिया ज्ञानकुंज एकेडमी के प्रबंधक डा0 देवेन्द्र नाथ सिंह भी मौजूद रहे।
उत्तर-प्रदेश और बिहार सीमा पर स्थित बागी बलिया वास्तव में धर्म की नगरी है।वेद-वेदांतो में उल्लिखित महर्षि भृगु की तपस्थली शक्तिपीठ की अनेक मंदिरों की अद्भुत श्रृंखला जहां एक ओर बलिया की गौरवमई बनाते हैं।वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के योद्धा मंगल पाण्डेय व चित्तू पाण्डेय सहित अनेक स्वतंत्रता सेनानियों की गौरव गाथा इस बागी धरती का मिसाल है।
इतना ही नहीं राजा बलि की बलिया में साहित्यकारों की अद्भुत श्रृंखला इस बागी धरती पर चारचांद लगाते हैं। तो संत मुनियों की अति प्राचीन कथा की श्रृंखला में महान साधु-संत अपनी साधना व रचनाओं की माध्यम से भारतीय संस्कृत की जीवन बनाए रखने में अपना अमूल्य योगदान देकर मानव जाति को कृतार्थ कर रहे हैं।
जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर सरजू की पावन तट पर अवस्थित ग्राम डूहा-विहारा आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है।स्वामी श्री ईश्वरदास ब्रह्मचारी मौनी बाबा का आगमन किशोरा अवस्था में ही इस ग्राम में हुई थी, तब से लेकर आज तक मौनी बाबा जिले के विभिन्न अपनी साधना वह तपस्या के बूते शिव शक्ति की संकल्पना को चरितार्थ करते रहे हैं।उन्होंने यहां एक ओर ग्राम डूहा में अनेक प्रतिमाओं का प्रतिमा प्रतिष्ठापित करके शक्तिपीठ की गौरव की विकृति किया है। वहीं अपनी धार्मिक रचनाओं के 2 दर्जन से अधिक कृतियों का ग्रंथ प्रदान कर एक चेतना की जागृत किया। इसी श्रृंखला में श्री मौनी बाबा की "अमर रचना" का प्रदेश की राजधानी लखनऊ में महामहिम राज्यपाल के कर कमलों द्वारा विमोचन किया गया।
आज रविवार को उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ के राजभवन में महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने प्रदेश के संत शिरोमणि स्वामी श्री ईश्वरदास ब्रह्मचारी मौनी बाबा द्वारा लिखित अमर कथा नामक ग्रंथ का विमोचन किया गया। अमर कथा ग्रंथ में उनका थानों का प्रमाण सहित उल्लेख है जिन कथाओं को आदिदेव शिव जी ने अमर गुफा में जगत माता पार्वती को सुनाई थी। इस कथा को सुनते- सुनते जहां माता पार्वती जी योगमाया निद्रा के प्रभाव में आ गई। वहीं दूसरी ओर गुफा मे मरणासन्न अवस्था में पड़ा हुआ शुक तोता दर्द से काराहता हुआ पूरी गाथा सुनता रहा और पूर्णरूपेण आदेवपरांत कथा सुनकर शुक स्वास्थ्य और अमर हो गया। कथाओं के लिपिबद्ध प्रस्तुति श्री मौनी बाबा ने ग्रंथ में उल्लेख की है की है।जो अत्यंत ज्ञानवर्धक ग्रंथ है।
राजभवन में आयोजित इस अवसर पर रचनाकार स्वामी ईश्वरदास मौनी बाबा व ज्ञानकुंज एकेडमी बलिया के प्रबंधक डा0 देवेंद्र नाथ सिंह मौजूद रहे।