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मोदी ने कहा कि अपने जिलों में एक-एक गांव, एक-एक कस्बे के लिए अगर अलग-अलग रणनीति बनानी हो तो वो भी बनाइए। आप क्षेत्र के हिसाब से 20-25 लोगों की टीम बनाकर भी ऐसा कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के 40 जिलों के डीएम के साथ कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर एक समीक्षा बैठक की। इस समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि बीमारी और दुश्मन को कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हमने कई चुनौतियों का सामना किया। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हम सबने मिलकर बढ़िया काम किया। लेकिन अभी भी अपने काम को हमें करते रहना है। मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के अच्छे प्रयासों से अच्छा नतीजा देखने को मिल रहा है। कोरोना वॉरिर्यस ने भी अच्छा काम किया है। मोदी ने कहा कि अब हमें हर घर तक टिके को पहुंचाना है। अब हर गांव-कस्बों में टीकाकरण पर जोर देना है।

मोदी ने कहा कि अपने जिलों में एक-एक गांव, एक-एक कस्बे के लिए अगर अलग-अलग रणनीति बनानी हो तो वो भी बनाइए। आप क्षेत्र के हिसाब से 20-25 लोगों की टीम बनाकर भी ऐसा कर सकते हैं। जो टीमें आपने बनाई हों, उनमें एक Healthy Competition हो, इसका भी प्रयास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि 100 साल की इस सबसे बड़ी महामारी में देश ने अनेक चुनौतियों का सामना किया है। कोरोना से देश की लड़ाई में एक खास बात ये भी रही कि हमने नए-नए समाधान खोजे, Innovative तरीके आजमाए। आपको भी अपने जिलों में वैक्सीनेशन बढ़ाने के लिए नए Innovative तरीकों पर और ज्यादा काम करना होगा। 

मोदी ने कहा कि एक चुनौती अफवाह और लोगों में भ्रम की स्थिति भी है। अभी बातचीत के दौरान भी इसका जिक्र किया गया है। इसका एक बड़ा समाधान है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए। आप इसमें स्थानीय धर्मगुरुओं की भी मदद और ज्यादा ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले मेरी वेटिकन में पोप फ्रांसिस जी से भी मुलाकात हुई थी। वैक्सीन पर धर्मगुरुओं के संदेश को भी हमें जनता तक पहुंचाने पर विशेष जोर देना होगा। अभी तक आप सभी ने लोगों को वैक्सीनेशन सेंटर तक पहुंचाने और वहां सुरक्षित टीकाकरण के लिए प्रबंध किए। अब हर घर टीका, घर-घर टीका, इस जज्बे के साथ आपको हर घर पहुंचना है। हर घर पर दस्तक देते समय, पहली डोज़ के साथ-साथ आप सभी को दूसरी डोज़ पर भी उतना ही ध्यान देना होगा। क्योंकि जब भी संक्रमण के केस कम होने लगते हैं, तो कई बार Urgency वाली भावना कम हो जाती है। लोगों को लगने लगता है कि, इतनी भी क्या जल्दी है, लगा लेंगे।