Right Banner

हरियाणा में 19 जून को होने वाले नगर निकाय चुनाव में भाजपा-जजपा गठबंधन को अग्निपथ के विरोध के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। नई भर्ती योजना का विरोध राज्य के अधिकतर हिस्सों में फैल गया है। इसके साथ ही गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए चुनौती बढ़ती जा रही है। भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी रहेगी। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) भी सत्ता पक्ष को कड़ी चुनौती पेश कर रही है। 

भाजपा-जजपा और आप के प्रत्याशी पार्टी के चुनाव चिह्न पर इलेक्शन लड़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार पार्टी के चुनाव चिह्न पर इलेक्शन नहीं लड़ रहे हैं। कांग्रेसी निर्दलीय के तौर पर चुनावी ताल ठोकेंगे। वहीं, AAP ने भाजपा-जजपा गठबंधन के खिलाफ लोगों की भावनाओं को भुनाने का फैसला किया है। हरियाणा आप प्रभारी सुशील गुप्ता ने आरोप लगाया, "सेना में शामिल होना हरियाणवी युवाओं के लिए केवल नौकरी नहीं है। देश की सेवा करना उनके लिए गरिमा और सम्मान की बात है। अग्निपथ योजना भाजपा सरकार की युवा विरोधी भावनाओं को दर्शाती है।"

अग्निपथ-प्रदर्शन के किसान आंदोलन का रूप लेने का डर 
रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि खाप और कृषि कार्यकर्ताओं के विरोध में शामिल होने से एमसी चुनावों में पार्टी के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं। भाजपा नेतृत्व चिंतित है कि वर्तमान अग्निपथ विरोध तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का रूप ले सकता है, जब इसे लेकर सरकार को लोगों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ा था।

गठबंधन के कई उम्मीदवार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में
गठबंधन सहयोगियों ने पहले अलग-अलग नगर निगम चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन बाद में संयुक्त लड़ाई के लिए तैयार हुए। अब परेशानी यह भी हो रही है कि गठबंधन के एक से अधिक उम्मीदवार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। अलग-अलग उम्मीदवारों को गठबंधन के विभिन्न नेताओं का समर्थन मिल रहा है। ऐसे में मतदाता बंट सकते हैं और प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को लाभ मिल सकता है।