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याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अजीत जॉय ने अपनी दलीलों में कहा कि महात्मा गांधी का चित्र भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार मुद्रा नोटों पर मुद्रित किया गया था। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर किसी वैधानिक प्रावधान के आधार पर वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर मुद्रित नहीं की गई है।

कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर हटाने के प्रस्ताव को खतरनाक बताया है। एक याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि यह एक खतरनाक प्रस्ताव है और कोई भी व्यक्ति नोटों से महात्मा गांधी की तस्वीर को हटाने के लिए फिर अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है क्योंकि यह उसके मेहनत और पसीने की कमाई है और वह नहीं चाहता है कि नोट में राष्ट्रीय नेता का चेहरा हो। फिर क्या होगा ? 

अंग्रेजी समाचार वेबसाइट ''टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अजीत जॉय ने अपनी दलीलों में कहा कि महात्मा गांधी का चित्र भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार मुद्रा नोटों पर मुद्रित किया गया था। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर किसी वैधानिक प्रावधान के आधार पर वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर मुद्रित नहीं की गई है।

23 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

इससे पहले अक्टूबर में अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। हालांकि केंद्र सरकार ने अपनी बात रखते हुए हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा है। जिसके बाद अदालत ने सुनवाई के लिए 23 नवंबर की तारीख तय की है। वहीं एक अन्य मामले में केरल उच्च न्यायालय की दूसरी पीठ ने मंगलवार को कहा कि केंद्र ने वैक्सीनेशन अभियान के लिए नागरिकों के दो वर्ग स्थापित किए हैं। पहले वो जिन्हें कोवैक्सीन दी गई और दूसरे वो जिन्हें कोविशील्ड लगाई गई। 

प्रतिबंधित है कोवैक्सीन की आवाजाही

अदालत ने कहा कि कोवैक्सिन लेने वालों की आवाजाही प्रतिबंधित है। जबकि कोविशील्ड लेने वाले कहीं भी जा सकते हैं। एक याचिका पर विचार करते हुए अदालत ने टिप्पणी की कि जिसने कोवैक्सीन लिया था और अब वैश्विक स्तर पर स्वीकृत वैक्सीन के तीसरे शॉट का लाभ उठाने के लिए अदालत के निर्देश की मांग कर रहा है। ताकि वह रोजगार के लिए सऊदी अरब जा सके।