हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के कारण वाराणसी में पिछले 24 घण्टे में 17 लोगों की मौत हो गई। बुधवार को जिला व मंडलीय अस्पताल में ही 13 लोगों ने दम तोड़ दिया। आसपास के जिलों में भी मौतों के कारण गंगा किनारे स्थित दोनों श्मशान घाटों पर अंत्येष्टि के लिए इंतज़ार करना पड़ रहा है।
बुधवार को उगापुर (चौबेपुर) में शराब के सेल्समैन व घुघुलपुर (जलालीपट्टी) के मजदूर मृत्युंजय बिंद (45) ने नाथूपुर गेट के पास दम तोड़ दिया। मंडुवाडीह में 47 वर्षीय व्यक्ति और यमुनानगर कॉलोनी (शिवपुर) के पास रेल ट्रैक पर 45 वर्षीय व्यक्ति की लाश मिली। इनकी शिनाख्त नहीं हो सकी है। माना जा रहा है कि इनकी मौत भी हीट स्ट्रोक से हुई।
मंडलीय अस्पताल में बुधवार को पांच मौतें हुई तो छह की सांसें अस्पताल की दहलीज पर थम गईं। जिला अस्पताल में आठ मौतें हुई हैं। इनमें पांच ने अस्पताल पहुंचते ही दम तोड़ दिया। लगातार मौतों से शिवपुर के पोस्टमार्टम हाउस पर शवों का दबाव दोगुना हो गया है। यहां 12 लाशों को रखने की क्षमता है। अतिरिक्त शव बाहर रखने पड़ रहे हैं। मंडलीय अस्पताल के मोर्चरी में रखी लाशें सड़ रही हैं। यहां के डीप फ्रीजर में छह शव रखने की ही जगह है। मंडलीय अस्पताल के एसआईसी हरिचरण सिंह ने कहा कि गर्मी से लोगों की स्थिति इतनी गंभीर हो रही कि कई की अस्पताल पहुंचते ही मौत हो जाती है।
भीषण गर्मी के कारण बनारस व आसपास के जिलों में मौत के आंकड़े बढ़ने के साथ मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों के श्मशान स्थलों पर दबाव भी बढ़ गया। चार से पांच घंटे तक लोगों को शवदाह के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। इस दौरान घाट की सीढ़ियों पर की शव रखने पड़ रहे हैं।
बुधवार को मणिकर्णिका घाट पर लोहे के चैंबर में भी जगह खाली नहीं दिखी। शवयात्री अपने परिजन के अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार करते मिले। चिलचिलाती धूप में इन घाटों पर इंतजार मुश्किल हो रहा है जहां न तो छाया और न ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है। मजबूरी यह कि वे शव छोड़कर लौट भी नहीं सकते।
शिवाला के पार्षद राजेश यादव चल्लू ने बताया कि कुछ दिनों से गर्मी के कारण शवों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन घाट पर शव यात्रियों के लिए बेहतर इंतजाम नहीं हैं।