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राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद जारी है। लेकिन एक नेता के बुलावे पर कुछ दिग्गजों का इनकार करना इन प्रयासों पर चोट देता रहा है। इसका ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की दिल्ली में बुलाई गई बैठक हैं। जिसका हिस्सा कई बड़े नेता बनेंगे, लेकिन ऐसे भी कई सियासी खिलाड़ी हैं जो विपक्ष की चर्चा से किनारा कर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नाश्ता पार्टी हो या केसीआर का भारत दौरा, 2024 लोकसभा चुनाव के लिए साथ आने से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक कई बार पार्टियों को एक मंच पर लाने की असफल कोशिशें हुई हैं।

एक कोशिश राहुल गांधी की
अगस्त 2021 में एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की कीमतों के विरोध में राहुल गांधी ने संसद तक साइकिल यात्रा की थी। इससे पहले उन्होंने ब्रेकफास्ट मीटिंग बुलाई थी, जिसमें करीब 15 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। खास बात है कि इस दौरान 10 पार्टियां ऐसी भी थी, जो बैठक में नहीं पहुंची थी। इनमें बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, YSR कांग्रेस पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का नाम शामिल है। शुरुआत में टीएमसी ने भी इस बैठक में शामिल होने से इनकार किया था, लेकिन बाद में पार्टी बैठक का हिस्सा बनी थी।

केसीआर भी राज्य-राज्य घूमकर जुटा रहे थे समर्थन, विपक्षी दलों ने ही कर दिया बाहर
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेकर राव ने 20 मई को भारत दौरे की शुरुआत की थी। इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली जाने की योजना बनाई थी। खास बात है कि बगैर कांग्रेस के भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मोर्चा तैयार करने की केसीआर की कोशिशें नजर आती हैं।

अप्रैल में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस समेत 13 दलों ने संयुक्त बयान जारी किया था। खास बात है कि देश के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा को लेकर जारी इस बयान में केसीआर, तेलुगू देशम पार्टी, जेडी(एस) को शामिल नहीं किया गया था। इस कदम को केसीआर को विपक्षी खेमे में राष्ट्रीय राजनीति से दूर करने का संकेत माना गया था। हालांकि, अब संभावनाएं जताई जा रही हैं कि केसीआर इस महीने राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी लॉन्च कर  सकते हैं।

ममता बनर्जी के इरादों को चोट
बनर्जी ने बुधवार को राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के लिए विपक्षी दलों की बड़ी बैठक बुलाई है। अब खबर है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अगुवाई वाली आप इस बैठक में शामिल नहीं होगी। इसके अलावा ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल, YSR कांग्रेस, टीआरएस के भी बैठक का हिस्सा बनने की संभावनाएं कम हैं। बनर्जी ने 22 नेताओं को पत्र लिखकर बैठक के लिए बुलाया था।

क्या नेतृत्व पर हो रही है रार?
खास बात है कि विपक्षी दलों में नेतृत्व को तकरार का बड़ा कारण कहा जा सकता है। टीएमसे के महासचिव कुणाल घोष ने कहा था, 'बीते सात सालों में भाजपा से लड़ने के लिए कांग्रेस ने कुछ भी नहीं किया है। टीएमसी है, जिसने बीजेपी के खिलाफ जंग छेड़ी। हमने कभी भी बगैर कांग्रेस के विपक्षी गठबंधन बनाने की बात नहीं की, लेकिन कांग्रेस को यह समझना होगा कि अब बड़े भाई वाला रवैया और नहीं चलेगा। कई राज्यों में पार्टी का अस्तित्व से जुड़े संकट का सामना कर रही है।'