दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने एक बड़े घटनाक्रम में उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर जिले के घाटमपुर इलाके में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर बड़ी कार्रवाई की है। एसआईटी और कानपुर बाहरी पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में इन्हें गिरफ्तार किया गया है। आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में सिखों के खिलाफ दंगे हुए थे। इसमें कई लोगों की जान चली गई थी।
एसआईटी का गठन तीन साल पहले 2019 में किया गया था। केंद्र सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के सात मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया था। इनमें आरोपी या तो बरी हो गए थे या मुकदमा बंद कर दिया गया था। विशेष रूप से एसआईटी ने अपनी जांच में 1984 के सिख दंगों में 94 आरोपियों की पहचान की है, जिनमें से 74 आरोपी जीवित हैं।
गिरफ्तार चार लोगों की पहचान सैफुल्ला खान, योगेंद्र सिंह उर्फ बबन बाबा, विजय नारायण सिंह उर्फ बचन सिंह और अब्दुल रहमान उर्फ लांबू के रूप में हुई है। गिरफ्तार किए गए सभी की उम्र 60 वर्ष से अधिक है और कानपुर के घाटमपुर इलाके से हैं।
क्या है 1984 का सिख विरोधी दंगा?
1984 के सिख विरोधी दंगे, जिसे 1984 के सिख नरसंहार के रूप में भी जाना जाता है, भारत में सिखों के खिलाफ उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई हिंसा की श्रृंखला थी। 1984 के सिख विरोधी दंगे कई दिनों तक जारी रहे। नई दिल्ली में हजारों सिख मारे गए।
इतना ही नहीं इन दंगों के कारण सिख समुदाय के 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। राष्ट्रीय राजधानी में दंगों के कारण सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से कुछ सुल्तानपुरी, मंगोलपुरिम और त्रिलोकपुरी थे। उनके बाद के दंगों पर टिप्पणी करते हुए तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने कहा था, 'जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो पृथ्वी हिलती है'।