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महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे बुधवार को उत्तर प्रदेश के अयोध्या पहुंच रहे हैं। माना जा रहा है कि इस यात्रा के जरिए आदित्य ठाकरे को शिवसेना हिंदुत्व के चेहरे के तौर पर पेश करने की तैयारी में है। हालांकि, पार्टी ने इस यात्रा को पूरी तरह 'धार्मिक' बताया है। खबर है कि वह सरयू आरती में शामिल होंगे और रामलला के मंदिर में पूजा करेंगे। दरअसल भाजपा का साथ छोड़ने के बाद से ही शिवसेना पर हिंदुत्व से समझौते के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में अयोध्या यात्रा के जरिए शिवसेना यह साबित करने की कोशिश करेगी कि हिंदुत्व आज भी उसके लिए अहम है।

राज्य सरकार में पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे की यह यात्रा कई मायनों में खास है। एक तो यह 32 वर्षीय शिवसेना नेता की पहली एकल यात्रा है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह शिवसेना के हिंदुत्व के नारे को फिर से मजबूत करने की कोशिश है। माना जाता है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन के चलते शायद इस मोर्चे पर पार्टी कमजोर हुई है।

खास बात यह भी है कि आदित्य के चाचा और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने अयोध्या जाने की बात कही थी। हालांकि, यूपी में भारतीय जनता पार्टी के सांसद की आपत्ति के बाद उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देकर यात्रा रद्द कर दी थी। भाजपा सांसद ने मनसे के उत्तर भारतीय विरोधी मत को लेकर आपत्ति जाहिर की थी।

हालांकि, शिवसेना ने आदित्य की यात्रा को हिंदुत्व से जोड़े जाने की बात से इनकार किया है। पार्टी एमएलसी मनीषा कयांदे का कहना है, 'शिवसेना ने कभी भी सियासी वजहों के लिए भगवान राम का इस्तेमाल नहीं किया। यह महज तीर्थयात्रा है। हमारा हिंदुत्व दिखावे का नहीं है।'

शिवसेना का शक्ति प्रदर्शन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कथित तौर पर शिवसेना नेता ने मुंबई से दो ट्रेन बुक की हैं, जिनमें 1700-1800 पार्टी सदस्य जाएंगे। वहीं, खबर यह भी है कि केवल मुंबई और ठाणे से ही करीब 8 हजार कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचेंगे। पत्रकारों से बातचीत के दौरान राउत ने कहा था, 'जब से मंदिर के लिए संघर्ष शुरू हुआ है और उसके बाद तक शिवसेना का अयोध्या के साथ लंबा रिश्ता रहा है। भगवान राम में हमारा श्रद्धा है और हमारे नेता या कार्यकर्ता यहां नियमित आते हैं... रामलला मंदिर में पूजा करने से ऊर्जा से भर जाते हैं।'90