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नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश हो रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस भेजा था। राहुल गांधी को दो जून को तलब किया गया था, लेकिन वे विदेश में होने के कारण जांच में शामिल नहीं हो सके। इसके साथ ही नेशनल हेराल्ड का यह पुराना मामला एक बार फिर देशभर में सुर्खियों में छाया हुआ है। आइए जानते हैं कि कांग्रेस से जुड़ा यह पूरा मामला क्या है।

दरअसल, नेशनल हेराल्ड मामले में तीन प्रमुख नाम शामिल हैं। इनमें एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड, यंग इंडिया लिमिटेड और कांग्रेस का नाम है। साल 2012 में भाजपा नेता और वकील सुब्रह्मण्यम स्वामी ने निचली अदालत में एक शिकायत दर्ज करवाई। इस शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण से जुड़े धोखाधड़ी और विश्वासघात में कुछ कांग्रेस नेता शामिल थे।

सुब्रह्मण्यम स्वामी का आरोप था कि यंग इंडिया लिमिटेड ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति पर 'गलत तरीके' से 'कब्जा' किया था। मामले में सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पर एसोसिएटेड जर्नल्स की दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का कथित रूप से केवल पचास लाख रुपये का भुगतान करके हेराफेरी करने का आरोप है।

क्या है नेशनल हेराल्ड?
नेशनल हेराल्ड 1938 में अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित एक समाचार पत्र था। इसका उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लिबरल ब्रिगेड की चिंताओं को आवाज देना था। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा प्रकाशित, यह अखबार आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र बन गया। एजेएल ने दो अन्य समाचार पत्र भी प्रकाशित किए। 2008 में, पेपर 90 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के साथ बंद हो गया।

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड: एजेएल जवाहरलाल नेहरू के दिमाग की उपज थी। 1937 में, नेहरू ने अपने शेयरधारकों के रूप में 5,000 अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ इस फर्म की शुरुआत की थी। कंपनी विशेष रूप से किसी व्यक्ति से संबंधित नहीं थी। 2010 में, कंपनी के 1,057 शेयरधारक थे। इसे घाटा हुआ और 2011 में इसकी होल्डिंग यंग इंडिया को हस्तांतरित कर दी गई। एजेएल ने 2008 तक अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड अखबार, उर्दू में कौमी आवाज और हिंदी में नवजीवन प्रकाशित किया था। 21 जनवरी 2016 को, एजेएल ने इन तीन दैनिक समाचार पत्रों को फिर से शुरू करने का फैसला किया।

यंग इंडिया लिमिटेड: यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना 2010 में हुई थी, जिसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी एक निदेशक के रूप में शामिल हुए थे। जहां राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया के पास कंपनी के 76 फीसदी शेयर हैं, वहीं शेष 24 फीसदी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास हैं। कहा जाता है कि कंपनी का कोई कॉमर्शियल संचालन नहीं है।

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड शेयरधारकों के आरोप
पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और इलाहाबाद व मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सहित कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब YIL ने AJL का 'अधिग्रहण' किया था तब उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था और उनके पिताओं द्वारा रखे गए शेयरों को 2010 में AJL को स्थानांतरित कर दिया गया था वो भी बिना उनकी सहमति के। 

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले में किस पर आरोप लगाए गए: स्वामी के नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा को नामजद किया गया है।
 
अब जानिए नेशनल हेराल्ड मामला
सुब्रमण्यम स्वामी का दावा है कि YIL ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए "गलत" तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को "अधिग्रहित" किया। स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि YIL ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो AJL पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था; यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि AJL को दिया गया कर्ज "अवैध" था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था।
 
2014 में, प्रवर्तन निदेशालय ने यह देखने के लिए जांच शुरू की कि क्या इस मामले में कोई मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। 18 सितंबर 2015 को, यह बताया गया कि प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड मामले में अपनी जांच फिर से खोल दी थी।

आरोपों पर कांग्रेस का पक्ष 
कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि YIL को "दान के उद्देश्य से" बनाया गया था, न कि किसी लाभ के लिए। इसने यह भी दावा किया कि लेन-देन में "कोई अवैधता" नहीं थी, क्योंकि यह कंपनी के शेयरों को स्थानांतरित करने के लिए "केवल एक कॉमर्शियल लेनदेन" था। इसने स्वामी द्वारा दायर की गई शिकायत पर भी आपत्ति जताई, इसे "राजनीति से प्रेरित" करार दिया।
 
नेशनल हेराल्ड मामला: अब तक की कार्यवाही
सोनिया और राहुल गांधी को 19 दिसंबर, 2015 को निचली अदालत ने इस मामले में जमानत दे दी थी। 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार करते हुए मामले के सभी पांच आरोपियों (सोनिया, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस और सुमन दुबे) को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी थी। 

2018 में, केंद्र ने 56 साल पुराने स्थायी पट्टे को समाप्त करने और हेराल्ड हाउस परिसर से एजेएल को इस आधार पर बेदखल करने का फैसला किया कि एजेएल कोई प्रिटिंग या पब्लिकेशन गतिविधि नहीं कर रहा था, क्योंकि इसी काम के लिए बिल्डिंग को 1962 में आवंटित किया गया था। एलएंडडीओ चाहता था कि एजेएल 15 नवंबर, 2018 तक कब्जा सौंप दे। बेदखली के आदेश में दावा किया गया था कि इमारत का इस्तेमाल पूरी तरह से व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया था। हालांकि, 5 अप्रैल, 2019 को, सुप्रीम कोर्ट ने अगली सूचना तक सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों का निष्कासन) अधिनियम, 1971 के तहत एजेएल के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया।

अब नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस भेजा गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस भेजा था। राहुल गांधी को दो जून को तलब किया गया था, लेकिन वे विदेश में होने के कारण जांच में शामिल नहीं हो सके। फिलहाल सोनिया गांधी इस समय कोरोना से संक्रमित हैं। कांग्रेस की तरफ से बताया गया था कि वे भी प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश होंगीं।