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राजस्थान में बसपा विधायकों के विलय को असंवैधानिक करार की याचिका राजस्थान हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद अधिवक्ता हेमंत नाहटा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन याचिका आज सुप्रीम कोर्ट में लिस्टेड नहीं हो सकी।  राज्यसभा के चुनाव बेरोकटोक हो सकेंगे। बसपा के छह विधायकों के मतदान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। याचिका में बसपा विधायकों को कांग्रेस के विधायकों के रूप में मतदान करने से रोकने की गुहार लगाई गई। साथ ही विधायक राजेंद्र गुढ़ा, दीपचंद, जोगेंद्र सिंह अवाना, लाखन सिंह, वाजिब अली, संदीप यादव के बसपा से कांग्रेस में मर्जर को असंवैधानिक घोषित करने की मांग भी की गई।

राजस्थान हाईकोर्ट ने दखल देने से कर दिया था इंकार

उल्लेखनीय है कि इससे पहले  राज्यसभा चुनाव को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने दखल से इनकार कर दिया था। दरअसल, यह आदेश उस याचिका पर दिया गया था, जिसमें बसपा के विधायकों के इंडियन नेशनल कांग्रेस में विलय को गलत ठहराते हुए चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और ऐसे वक्त में वह इस पर कोई दखल नहीं देंगे। अधिवक्ता हेमंत नाहटा ने स्पीकर के उस आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी, जिसमें बसपा के विधायकों का विलय कांग्रेस में कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह जनमत के निर्णय के विरुद्ध है। याचिका में कहा कि जनता ने बसपा को वोट दिया और जनता के निर्णय को प्रशासनिक आदेश पर बदल देना गैर संवैधानिक है।

बसपा ने जारी किया था व्हिप

शनिवार को  राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव जीते सभी छह विधायकों को व्हिप जारी किया था। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने बताया कि पार्टी ने विधायक राजेन्द्र सिंह गुढ़ा, लाखन सिंह, दीप चंद, जोगिंदर सिंह अवाना, संदीप कुमार एवं वाजिब अली को व्हिप जारी कर कहा गया है कि वे राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को वोट नहीं करे और वे निर्दलीय उम्मीदवार को अपना वोट डालें।