सीजेएम ने किया राबर्ट्सगंज कोतवाल से एक सप्ताह में आख्या तलब
सोनभद्र। विद्यालय की 15 वर्षों के लिए राज्यपाल के पक्ष में बंधक रखी जमीन का कूट रचित दस्तावेज तैयार कर बैनामा कराए जाने के मामले में सीजेएम सूरज मिश्रा की अदालत ने तीन लोगों अखिलेश, मनीष कुमार व विकास के विरुद्ध राबर्ट्सगंज कोतवाल को एफआईआर दर्ज कर विधि अनुरूप विवेचना का आदेश दिया है। साथ ही एक सप्ताह में राबर्ट्सगंज कोतवाल से आख्या तलब किया है। उक्त कार्रवाई रीता देवी पत्नी रविन्द्र कुमार निवासिनी कोन, थाना कोन, जिला सोनभद्र की ओर से अधिवक्ता सत्यारमण त्रिपाठी के जरिए दाखिल धारा 156(3) सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र पर की गई है।
दिए प्रार्थना पत्र में रीता देवी ने अवगत कराया है कि वह स्वर्गीय श्री बैजनाथ प्रसाद गुप्ता शिक्षण समिति कोन की संस्थापक/ प्रबंधक है। जैमोहरा गांव में शिक्षण समिति द्वारा जमीन क्रय करके उक्त भूमि पर चहारदीवारी एवं भवन का निर्माण कराया गया है। तथा पार्वती बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जैमोहरा स्थापित किया गया है। उक्त भूमि शासन के आदेश के अनुक्रम में शिक्षण समिति द्वारा 9 अप्रैल 2010 को महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश के पक्ष में जिला विद्यालय निरीक्षक सोनभद्र द्वारा 15 वर्षो के लिए पंजीकृत बंधक पत्र निष्पादित करते हुए बंधक किया गया है। बावजूद इसके अखिलेश पुत्र छोटेलाल निवासी तेनुआ, थाना रायपुर, जिला सोनभद्र अपने को उक्त शिक्षण संस्थान का प्रबंधक बताते हुए मनीष कुमार पुत्र लालजी निवासी करही, थाना रायपुर, जिला सोनभद्र व विकास पुत्र ज्ञानदेव निवासी सहिजन खुर्द, थाना राबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र तीनों लोग मिलकर उक्त भूमि व भवन को छल व कपट पूर्वक अपने लाभ के लिए हड़पने के उद्देश्य से कूट रचित दस्तावेज तैयार करके 17 अक्तूबर 2020 को कैमूर मंजरी शिक्षण समिति के पक्ष में बैनामा करा लिया है। इस संदर्भ में राबर्ट्सगंज कोतवाली में शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कि गई। तब एसपी सोनभद्र को रजिस्टर्ड डाक से सूचना दिया फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। न्यायालय ने राबर्ट्सगंज कोतवाली व रायपुर थाने से आख्या तलब किया था, लेकिन कहीं भी एफआईआर दर्ज नहीं किया गया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने अधिवक्ता सत्यारामण त्रिपाठी के तर्कों को सुनने एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर प्रथम दृष्टया गम्भीर प्रकृति का अपराध मानते हुए राबर्ट्सगंज कोतवाल को एफआईआर दर्ज कर विधि अनुरूप विवेचना करने का आदेश दिया। साथ ही एक सप्ताह में कृत कार्यवाही से अवगत कराने को कहा है।