सशस्त्र बलों में भर्ती की कोशिशों में जुटे युवाओं के लिए सरकार बुधवार को बड़ा ऐलान करने जा रही है। खबर है कि बदलाव के बाद नई व्यवस्था के तहत जवानों को चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा। यह अवधि खत्म होने के बाद सरकार ने बड़ी राशि देने का भी फैसला किया है। साथ ही इनमें से करीब 25 फीसदी को सेवा में दोबारा एंट्री मिल जाएगी। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाना अभी बाकी है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नए टूर ऑफ ड्यूटी का नाम 'अग्निपथ' रखा जा सकता है, जिसमें 'अग्निवीर' या सैनिकों की भर्ती चार साल के लिए होगी। सेवा पूरी होने के बाद जवानों को 10 लाख रुपये और सर्टिफिकेट्स या डिप्लोमा दिए जाएंगे। यह राशि कर मुक्त होगी। इसके तहत एक साल के भीतर 6 महीनों के अंतराल में दो बार तीनों सेवाओं में ऑफिसर रैंक से नीचे 45 हजार-50 हजार जवानों की भर्ती की जानी है।
कौन कर सकेगा आवेदन
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि साढ़े 17 साल से 21 साल के उम्मीदवार आवेदन कर सकेंगे और मौजूदा मानदंडों के तहत उनकी भर्तियां की जाएगी। सफल होने वालों को 6 महीने की ट्रेनिंग के दौर से गुजरना होगा और बाकी समय सेवा में लगना होगा। फिलहाल, एक जवान करीब 17 से 20 साल तक सेना में अपनी सेवाएं देता है।
क्या होगी सैलरी
नई योजना के तहत शुरुआती सैलरी 30 हजार रुपये होगी, जो चौथे साल के अंत तक 40 हजार रुपये तक जाएगी। हालांकि, सैलरी का 30 फीसदी सेविंग के तौर पर रखा जाएगा और इतनी ही राशि सरकार सेवा निधि योजना के तहत मिलाएगी। चार साल पूरे होने के बाद जवान को 10 से 12 लाख रुपये की कुल राशि दी जाएगी, जो टैक्स फ्री होगी।
और क्या होंगे फायदे
रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि ट्रेनिंग और कार्यकाल के दौरान हासिल कौशल के आधार पर जवानों को डिप्लोमा या क्रेडिट्स दिए जा सकते हैं। इनका इस्तेमाल वे आगे की शिक्षा में कर सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि नई व्यवस्था से सशस्त्र बलों से जुड़े कई मुद्दों का समाधान होगा और सेना, नौसना और वायुसेना में जाने की चाहत रखने वाले लाखों युवाओं को राहत मिलेगी।
खाली पड़े हैं पद
बीते दो सालों में सैनिकों की भर्ती लगभग न के बराबर हुई है। 28 मार्च को संसद में पेश किया गया रक्षा मंत्रालय का डेटा बताता है कि सेना में अन्य रैंक्स के जूनियर कमिश्नन्ड ऑफिसर के एक लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं। 2017, 2018 और 2019 में 90 से ज्यादा भर्ति अभियान हुए, लेकिन महामारी के चलते 2020-2021 में यह आंकड़ा 47 और 2021-2022 में 4 पर था।
सरकार को क्या होगा फायदा
नई व्यवस्था में सरकार को पेंशन के मोर्चे पर फायदा होगा। सरकार ने रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों के लिए करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये आवंटित हैं। यह कुल रक्षा बजट का एक चौथाई है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इस बदलाव को लेकर चिंताएं भी हैं कि अब अधिकांश सैनिक बगैर पेंशन के केवल 4 साल काम कर सकेंगे। जबकि, अभी पेंशन के साथ 20 सालों तक सेवा देने का मौका मिलता है।
इसके अलावा आशंकाएं ये भी हैं कि क्या ट्रेनिंग और कार्यकाल की अवधि उन ऑपरेशन्स के लिए पर्याप्त होगी, जिनका हिस्सा इन सैनिकों को बनना पड़ सकता है। सेना की तरफ से दिया गया शुरुआती प्रस्ताव बताता है कि विचार उन लोगों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का था, जो सेना में स्थाई तौर पर काम नहीं करना चाहते, लेकिन इसका अनुभव करना चाहते हैं।