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कानपुर हिंसा के मुख्य आरोपित हयात जफर हाशमी को फंडिंग करने वाले तीन सफेदपोश जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। साथ ही उसकी आठ दिन पहले की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। पीएफआई से कनेक्शन सामने आने के बाद से एटीएस व एसआईटी जांच में जुट गई हैं। इसमें पता चला कि जौहर फैंस एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात ने हिंसा के आठ दिन पहले जुमे को बंदी और पांच जून को गिरफ्तारी का आह्वान करने के बाद हर दिन बैठकें की थीं।

पड़ताल में यह तथ्य भी सामने आया है कि तीन सफेदपोश हयात को धन मुहैया कराते थे। इनमें से एक सफेदपोश लखनऊ का है। दो शहर के ही कारोबारी हैं। पुलिस इन सबके खिलाफ साक्ष्य जुटा रही है। इशके अलावा उपद्रवियों की सूची में डीटू गैंग के बदमाशों समेत कई गैंगस्टर के नाम भी आए हैं। इसलिए संदेह जताया जा रहा है कि आपराधियों को पैसे के बल पर ही जुटाया गया था। 

बैठकों में शामिल 20 लोगों पर पैनी नजर
छानबीन में लगी टीमों ने बैठकों में शामिल 20 से ज्यादा लोगों से बंदी व गिरफ्तारी को सफल बनाने के लिए किए गए प्रयासों के बारे में गहन जानकारियां जुटाई हैं। इस कड़ी में पता चला है कि बैठकों में बंदी के दौरान ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। शहर के कई संवेदनशील क्षेत्रों में उग्र प्रदर्शन की अंदर ही अंदर तैयारी की गई थी। यह भी तय किया गया था कि विरोध की गूंज देश भर में होनी चाहिए। इसके बाद हयात के बंदी के आह्वान के बाद आठ दिन में की गईं कॉल की डिटेल निकाली गई है। हर संदिग्ध कॉल की एसआईटी छानबीन कर रही है।