खुद से ही विवाह रचाने का ऐलान कर चर्चा में आईं क्षमा बिंदु की मुश्किलें भी बढ़ती दिखती रही हैं। एक वर्ग उनके फैसले को महिलाओं की स्वतंत्रता से जोड़कर देख रहा है तो कुछ लोगों ने इसे हिंदुत्व के खिलाफ करार दिया है। शायद यही वजह है कि पहले क्षमा बिंदु के विवाह कराने पर सहमति देने वाले पंडित जी भी अब पीछे हट गए हैं। पुजारी का कहना है कि वह इस विवाह को नहीं करा सकते। क्षमा बिंदु ने कहा, 'जिन पंडित जी ने पहले इस विवाह को संपन्न कराने की बात कही थी, अब वह इससे पीछे हट गए हैं। मैं अब टेप पर मंत्र चलाकर ही विवाह की रस्में पूरी कर लूंगी।
क्षमा बिंदु का कहना है कि एक बार मैं पारंपरिक तरीके से विवाह कर लूं तो फिर उसके बाद इसका कानूनी तरीके से रजिस्ट्रेशन भी कराऊंगी। उन्होंने कहा, 'एक बार मैं खुद से शादी कर लूं, उसके बाद इसका पंजीकरण भी कराऊंगी। यह पंजीकरम किसी भी अन्य कपल की तरह ही होगा।' ऐसी शादियों को लेकर भारत में कोई कानून न होने की बात पर उन्होंने कहा कि हां यह बात सही है कि भारत में इसे लेकर कोई कानून नहीं है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि ऐसी शादी करना अवैध भी नहीं है। ऐसे में मैं पंजीकरण के लिए आवेदन करूंगी और मेरी शादी वैध होगी।
क्षमा बिंदु ने 11 जून को सोलोगैमी के तहत विवाह का फैसला लिया है। सोलोगैमी मैरिज उसे कहा जाता है, जब कोई व्यक्ति खुद से ही विवाह कर ले। अमेरिका में 1993 में ऐसा पहला मामला सामने आया था, लेकिन भारत में क्षमा बिंदु का खुद से विवाह भारत का संभवत: पहला ऐसा मामला है। हालांकि क्षमा बिंदु के ऐलान पर विवाद भी छिड़ गया है। भाजपा की एक महिला नेता ने कहा था कि ऐसा विवाह हिंदुत्व के खिलाफ है और वह मंदिर में क्षमा बिंदु को शादी नहीं करने देंगी, इसका विरोध किया जाएगा। इस पर क्षमा बिंदु का कहना है कि मैं मंदिर में शादी नहीं करूंगी। उन्होंने कहा, 'मैं किसी की भी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती हूं। इसलिए मैंने शादी का स्थान बदलने का फैसला लिया है।'