आज अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय आह्वान पर उप जिलाधिकारी कार्यालय फ़ुलपुर, प्रयागराज, में शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से कोविड-19 के दिशा निर्देश का पालन करते हुए धरना प्रदर्शन करते हुए किसानों की विभिन्न मांगों का ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति महोदय भारत सरकार को सम्बोधित द्वारा उप जिलाधिकारी फ़ुलपुर को सौपा गया,
धरने को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता ऐक्टू राष्ट्रीय सचिव डॉ कमल उसरी ने कहा किसान मजदूर मिलकर ही इस मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, रोजगार विरोधी, गरीब नौजवान विरोधी तानाशाही निज़ाम को झुका सकते है, मैलहन झील और वरुणा नदी के बाढ़ से हजारों एकड़ जमीन हर वर्ष पानी में पुरी तरह से डूब जाती है, बाढ़ से सैकड़ों गाँव के किसानों की फसल और पालतू जानवरों सहित लाखों का नुकसान होता है, दशकों पहले किसानों के बड़े आंदोलन के बाद मैलहन झील की सफाई और वरुणा नदी की खोदाई की गई थी जिससे किसानों को राहत मिली थी, लेकिन अब मैलहन झील और वरुणा नदी पुनः उसी स्थिति में पहुंच गई हैं इसलिए हम सब मांग करते है कि मैलहन झील की सफाई, वरुणा नदी की गहराई से खुदाई की जाय,
धरने की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला संयोजक कॉम सुभाष पटेल ने कहा कि किसानों ने तीनों काले कृषि कानून के खिलाफ सैकड़ों किसानों की शहादत देते हुए 13 महीने के ऐतिहासिक आंदोलन के बाद उसे वापस कराया, सरकार ने कृषि कानून वापस करते हुए एम एस पी गारंटी कानून बनाने के लिए कमेटी बनाने का वादा किया था, आंदोलन के दौरान दर्ज सभी फ़र्जी मुकदमे वापस लेने का वादा किया था, लेकिन केंद्र सरकार किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रही है, लतीफपुर माइनर नहर सन 1988 में अधीकृत की गई जमीन का अभी तक़ 2022 में भी मुआवजा नहीं दिया गया है, सरकार यदि किसानों के ज्वलंत मुद्दों को वरीयता देकर हल नहीं करेंगी तो किसान बड़े आंदोलन करने को बाध्य होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होंगी,
धरने में मुख्य रूप से राम लखन सरोज, इफको फ़ुलपुर ठेका मजदूर संघ मंत्री कॉम त्रिलोकी पटेल, सुभाष चंद्र भारतीय, श्रीमती निर्मला देवी, राकेश पाल एडवो नरेंद्र प्रताप यादव, एडवो अशरफ़ इत्यादि लोग उपस्थित रहे, धरने का संचालन कॉम डॉ ध्यान चन्द्र पटेल ने किया,