Right Banner

 

तीन रिपब्लिकन सीनेटरों ने भारत के समर्थन में राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम FY2022 में एक संशोधन पेश किया है जो अमेरिकी सरकार की कार्यकारी शाखा के लिए रूसी हथियार खरीदने के लिए क्वाड के सदस्यों पर प्रतिबंध लगाना कठिन बनाता है।

भारत और रूस के बीच एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली के सौदे को लेकर ने शुरू से ही काफी तीखा रूख अख्तियार किया हुआ है। इसके साथ ही ये कयास लगाए जा रहे हैं कि रूस के साथ एस 400 मिसाइल का सौदा करने की वजह से अमेरिका के द्वारा प्रतिबंध का सामना भी करना पड़ सकता है। हांलाकि कुछ अमेरिकी सांसद भारत के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं। तीन रिपब्लिकन सीनेटरों ने भारत के समर्थन में राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम FY2022 में एक संशोधन पेश किया है जो अमेरिकी सरकार की कार्यकारी शाखा के लिए रूसी हथियार खरीदने के लिए क्वाड के सदस्यों पर प्रतिबंध लगाना कठिन बनाता है। यह कदम तब आया है जब भारत को संभवतः इस महीने या अगले महीने ही मॉस्को से एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली की डिलीवरी मिलने की उम्मीद है। 

अमेरिका के शीर्ष रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कॉर्निन ने कहा कि भारत ने रूस पर सैन्य निर्भरता को कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर मार्क वार्नर और रिपब्लिकन पार्टी के जॉन कॉर्निन ने एक दिन पहले ही राष्ट्रपति जो बाइडन से सतह से हवा में मार करने वाली रूसी एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए भारत के खिलाफ ‘काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (सीएएटीएसए) के प्रावधानों को लागू नहीं करने का आग्रह किया था। इसके अगले दिन कॉर्निन ने यह बयान दिया। 

तुर्की पर प्रतिबंध लगाए गए थे प्रतिबंध

टेक्सास से रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर टेड क्रूज ने सीनेट में उक्त विधेयक पेश किया है। इसमें राष्ट्रपति बाइडन से यह सत्यापित करने को कहा गया है कि वे यह पुष्टि करें कि क्वाड में ऐसा कोई देश शामिल नहीं है, जिस पर सीएएटीएसए के तहत दंडात्मक कार्रवाई की गई है। इस विधेयक का इंडियाना के सीनेटर टॉड यंग व कंसास के मार्शल रोजर ने समर्थन किया है। गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका की डिप्टी सीक्रेटरी ऑफ स्टेट वेंडी शर्मन ने कहा था कि जो भी देश एस-400 इस्तेमाल करने का फैसला करते हैं, उन्हें लेकर हमारी नीतियां सार्वजनिक रही हैं। हमें लगता है कि ये खतरनाक है और ये किसी के भी सुरक्षा हितों में नहीं है। बता दें कि रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की वजह से अमेरिका ने नॉटो के सदस्य देश तुर्की पर प्रतिबंध लगाए थे।