Sunil Dutt Birth Anniversary: एक मुस्लिम ने बचाई थी सुनील दत्त के परिवार की जान, यूं पार की थी झेलम
बॉलीवुड एक्टर सुनील दत्त एक लीजेंडरी एक्टर होने के साथ-साथ एक बहुत कमाल के इंसान भी थे। उनकी पर्सनैलिटी और स्वभाव ऐसा था कि काम से इतर भी लोग उनके अंदाज के फैन हो जाया करते थे। आज सुनील दत्त की बर्थ एनिवर्सरी पर हम आपको उनसे जुड़ा एक ऐसा किस्सा सुनाने जा रहे हैं जो सुनील दत्त ने खुद ही एक इंटरव्यू में शेयर किया था।
मुसलमानों ने बचाई थी फैमिली की जान
सुनील दत्त ने बताया था कि किस तरह पार्टीशन के दौरान उनके पिता के एक मुस्लिम दोस्त याकूब ने उन लोगों को बचाया था। साल 2015 में Rediff को दिए इंटरव्यू में सुनील दत्त ने बताया, 'तब भी टीवी चैनल्स हुआ करते थे। गांव वालों से पूछा जा रहा था कि वो मुझे इतना प्यार क्यों दे रहे हैं? उन्होंने कहा कि ये उसकी वजह से नहीं है, ये उसके बाप-दादाओं की वजह से है जिन्होंने हमें इतना सम्मान दिया।'
पुरखों की वजह से मिलती थी इज्जत
गांव वालों ने कहा कि वो बहुत अच्छे लोग थे और उन्होंने हमारे धर्म का बहुत सम्मान दिया। वो हमारे मकान मालिक थे। हमारे गांव के बाहर एक दरगाह थी। जब वो (सुनील दत्त के पुरखे) उस दरगाह के सामने से गुजरते थे तो वह अपने घोड़े से उतर जाया करते थे और उस दरगाह के गुजरने तक पैदल चलते थे, फिर वापस घोड़े पर बैठ जाया करते थे।'
मुस्लिमों के गांव में रहते थे सुनील दत्त
तो गांव वाले उनसे कहते थे कि अगर उन्होंने हमें इतनी इज्जत दी तो हम उसे इज्जत क्यों नहीं दे सकते? सुनील दत्त ने बताया, 'मेरे पिता गुजर गए जब मैं सिर्फ 5 साल का था। हम उस गांव में बिना किसी परेशानी के रहे। वहां मुस्लिम लोग हिंदुओं से कहीं ज्यादा थे। भारत-पाक बंटवारे के दौरान मेरे पूरे परिवार को एक मुसलमान ने बचाया था।'
मुसलमान ने की थी परिवार की मदद
सुनील दत्त ने कहा, 'उसका नाम याकूब था, वो मेरे पिता का दोस्त था जो हमारे गांव से डेढ़ मील दूर रहता था। उसने झेलम के मुख्य शहर से निकलने में हमारी मदद की। मैंने मैट्रिक की पढ़ाई के बाद पाकिस्तान छोड़ दिया था। मुझे दोबारा लाहौर जाने का मौका कभी नहीं मिला। मैं बेनजीर भुट्टो की शादी में कराची गया था।'