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प्रयागराज। बिहारी लाल जायसवाल जी अपनी बेटी अर्चना जायसवाल और दमाद सरताज आलम के साथ रहते थे। उनकी तबियत 16 मई को एका-एक काफी बिगड़ गयी थी और उन्हे कुछ समझ नही आ रहा था की उस मुश्किल घड़ी में क्या किया जाए, जिसके कारण अर्चना जी ने यूफोरिएल यूथ सोसाइटी की टीम से मदद की गुहार लगाई। टीम को पता चलते ही तुरंत टीम के संस्थापक एवं अध्यक्ष देवेश जायसवाल, मेडिकल ऑफिसर मनोज त्रिपाठी, उपाध्यक्ष अनीश पांडे और पी.आर.ओ. गगन सिंह पहुँचे। वहाँ मौके पर टीम कर मेडिकल ऑफिसर मनोज त्रिपाठी द्वारा बिहारी लाल जी की जाँच करने पर उनकी स्थिति काफी गंभीर मालूम हुई, जिसके बाद टीम ने बिना समय गवाए उनको जल्द से जल्द आई.सी.यु. मे शिफ्ट करवाया।

बिहारी लाल जी 85 वर्ष के वृद्ध थे जिसे कारण उनकी हालत में की स्पष्ट सुधार नही आ रहा था। कई रोज आई.सी.यु. में रहने के बाद एवं ब्लड चढ्वाने के बाद भी जिसकी आपूर्ति यूफोरिएल यूथ सोसाइटी ने की थी, डॉक्टरस ने जवाब दे दिया। उसके बाद बिहारी लाल जी को घर में ही टीम के मदद से ऑक्सीजन् के सपोर्ट पर रखा गया था।
बिहारी लाल जी की गंभीर हालत को देखते हुए, देवेश जायसवाल ने उनके परिवार जनो को नेत्रदान के बारे मे समझाया और नेत्रदान करने के लिए प्रेरित किया। अर्चना जी नेत्रदान की बात सुन कर पहले तो घबरा गई थी मगर अंत में वह मान गयी और उनके पूरे परिवार ने मिल कर नेत्रदान का संकल्प लिया।
बिहारी लाल जी का 1 जून को स्वर्गवास हो गया पर उनके जाने के बाद उनकी बेटी अर्चना और बेटे जैसे दमाद सरताज ने हिम्मत दिखा के यूफोरिएल यूथ सोसाइटी के सौजन्य से मनोहर दास नेत्रालय की टीम द्वारा नेत्रदान किया। बिहारी लाल जी तो हम सबको को छोड़ के चले गए परंतु उनका नाम अमर हो गया। 
भवदीय