भारत अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति के तहत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों तक पहुंच का विस्तार करने में जुटा है और इन देशों में चीन के बढ़ते प्रभुत्व तो टक्कर देने के लिए अपनी नीतियों को और मजबूत बना रहा है। इस क्षेत्र में चीन के बड़े पैमाने पर घुसपैठ के बीच एक व्यवहार्य भागीदार बनने के लिए भारत 15-17 जून को दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों (आसियान) के सभी 10 देशों के विदेश मंत्रियों की मेजबानी करेगा।
यह पहला अवसर होगा जब भारत दक्षिण पूर्व एशिया के सभी 10 विदेश मंत्रियों की मेजबानी करेगा। यह मेजबानी भारत-आसियान साझेदारी के 30 साल और आसियान के साथ 10 साल की रणनीतिक साझेदारी के उपलक्ष्य में हो रही है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक में कनेक्टिविटी, निवेश, आपूर्ति श्रृंखला और समुद्री सुरक्षा के मुद्दों के अलावा पिछले सप्ताह टोक्यो में घोषित इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) पर चर्चा करने की उम्मीद है।
भारत-आसियान साझेदारी के लिए तीन संभावित एरिया स्वास्थ्य सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और हरित विकास हैं। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने बताया कि टीके, कुशल और लचीली आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण, डिजिटल टेक्नोलॉजी और इनोवेशन भारत और आसियान के सदस्य देशों के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों के रूप में उभरे हैं, ताकि कोविड-19 महामारी के बाद एक स्थायी आर्थिक सुधार प्राप्त किया जा सके।
सात आसियान देश आईपीईएफ में शामिल हो गए हैं। भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, अमेरिका और वियतनाम ने पिछले हफ्ते टोक्यो में आईपीईएफ पर एक स्वतंत्र, खुले, निष्पक्ष, समावेशी, परस्पर, लचीले, सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर बयान जारी किया था। ऐसी खबरें हैं कि भारत म्यांमार के सैन्य शासन का प्रतिनिधित्व करने वाले विदेश मंत्री को आमंत्रित नहीं कर करेगा और इसके बजाय म्यांमार के विदेश मंत्रालय के नौकरशाह की मेजबानी कर सकता है।
बैठक दिल्ली डायलॉग के साथ शुरू होगी - जोकि आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एनुअल ट्रैक 1.5 कॉन्फ्रेंस है।