कोरोना काल में सेहत के साथ शिक्षा को भी नुकसान पहुंचा है। कोरोना के दौरान एक वर्ष में मुजफ्फरपुर सहित सूबे की साक्षरता दर में गिरावट आयी है। महिला और पुरुष दोनों की साक्षरता दर गिरी है। फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट इसकी पुष्टि कर रही है। रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2020 में सूबे में महिला साक्षरता दर 57.8 प्रतिशत थी तो वर्ष 2021 में यह दर 55 प्रतिशत पर आ गई। वहीं वर्ष 2020 में पुरुषों की साक्षरता का आंकड़ा 78.2 प्रतिशत था जो एक वर्ष बाद घटकर 76 प्रतिशत रह गया।
15 से 60 वर्ष तक के पुरुषों और महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए हर वर्ष महासाक्षरता की परीक्षा शिक्षा विभाग कराती है। साक्षरता के लिए हर जिले को 10 से 15 लाख रुपये का बजट भी हर वर्ष आवंटित किया जाता है। मुजफ्फरपुर जिले के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (साक्षरता) इफ्तेखार अहमद का कहना है कि जिन लोगों की पढ़ाई छूट गई उन्हें वापस पढ़ाई से जोड़ने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किये जा रहे हैं। एक जून से हम समर कैंप भी लगा रहे हैं। इससे पढ़ाई से दूर हुए लोग फिर से किताबों के संपर्क में आ जायेंगे। शिक्षा विभाग से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना के काल में साक्षरता कार्यक्रम ठप पड़ गया। टोलों और प्रखंडों पर साक्षरता केंद्र नहीं चले। महिलाओं और पुरुषों के बीच कोई किताब या दूसरी पाठ्य सामग्री भी नहीं बांटी गयी। इससे नये लोगों को साक्षर नहीं बनाया जा सका। इस कारण भी साक्षरता की दर में कमी आयी है।
प्रखंड से लेकर टोला स्तर तक बनते हैं केंद्र
साक्षरता के लिए मुजफ्फरपुर सहित सभी जिले में प्रखंड से लेकर टोले तक केंद्र बनाये जाते हैं। लोगों को साक्षर करने के लिए टोला सेवक और तालिमी मरकज की ड्यूटी लगायी जाती है। इनका काम टोले के निरक्षर महिलाओं और पुरुषों को साक्षर बनाना है। टोले में बने साक्षरता केंद्र पर महिलाओं और पुरुषों को बुलाकर लाया जाता है और उन्हें अक्षर ज्ञान सिखाया जाता है। साक्षरता अभियान के लिए बने केंद्रों पर पढ़ने आने वाली महिलाओं और पुरुषों के लिए कॉपी और पेंसिल भी दिये जाते हैं।