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यूपी कोटे की 11 राज्यसभा सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन संभव है। हालांकि आधिकारिक तौर पर स्थिति तीन जून को नाम वापसी की अंतिम तिथि पर स्पष्ट होगी। मगर परिस्थितियां ऐसी हैं कि संभवत: चुनाव की जरूरत ही न पड़े। दरअसल, भाजपा के पास सात और सपा के पास तीन सीटें आसानी से जीतने की स्थिति है। 11वीं सीट को लेकर चुनाव की स्थिति बनती मगर सपा ने इसका जोखिम नहीं उठाया। ऐसे में भाजपा के आठवीं सीट भी आसानी से जीतने का रास्ता साफ हो गया।

प्रदेश में राज्यसभा की कुल 31 सीटें हैं। इनमें से 11 सीटें रिक्त हो रही हैं। पिछली बार इनमें से पांच भाजपा, तीन सपा, दो बसपा और एक कांग्रेस के खाते में थी। मगर इस बार संख्या बल सिर्फ भाजपा और सपा के ही पास है। एनडीए के पास 273 और सपा के पास सहयोगियों सहित 125 सीटें हैं। एक सीट के लिए करीब 37 वोटों की जरूरत होगी। ऐसे में सात सीटों पर आसानी से जीत के बाद भाजपा के पास 14 अतिरिक्त वोट होंगे। ठीक इसी तरह तीन सीटों पर जीत हासिल करने के बाद सपा के पास भी 14 वोट और बचेंगे।

मगर सपा ने चौथी सीट पर प्रत्याशी उतारने का जोखिम नहीं उठाया। सपा के 14 वोटों में शिवपाल सिंह यादव भी हैं। आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी फिलहाल अलग-थलग दिख रहे हैं। हालांकि सपा ने कपिल सिब्बल को समर्थन देकर आजम को खुश करने की कोशिश की है। सपा अभी तक अपने कोटे के तीन नामों का ऐलान कर चुकी है। जिसमें कपिल सिब्बल के अलावा रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी शामिल हैं। तीसरा नाम सपा नेता जावेल अली खां का है। वहीं भाजपा ने रविवार शाम को छह प्रत्याशी घोषित किए थे। अभी दो नाम और आने बाकी हैं। इन परिस्थितियों में 11 सीटों के लिए 11 ही नामांकन होने की स्थिति में निर्विरोध निर्वाचन हो सकते हैं।